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फोर्टिस केस में कार्रवाई का चाबुक चल चुका है...और इस चाबुक के लिए स्वास्थ्य मंत्री वाहवाही भी बटोर रहे हैं...लेकिन इस चाबुक की धार है कितनी, अब जरा ये भी देख लीजिए...ये बात इसलिये क्योंकि फोर्टिस पर जिस कार्रवाई के लिए अनिल विज वाहवाही बटोर रहे हैं...वो कार्रवाई असल में फोर्टिस के खिलाफ हुई ही नहीं है...गुरूग्राम के सुशांत लोक थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी पीटीसी न्यूज के हाथ लगी है...और एफआईआर पर गौर करें...तो फोर्टिस के खिलाफ हुई कार्रवाई के दावे...आपको मजाक लगने लगेंगे...
एफआईआर में फोर्टिस प्रबंधन का कोई जिक्र नहीं है...अस्पताल की अनियमितताओं के बारे में भी कुछ नहीं है...बल्कि एक सीनियर डॉक्टर विकास शर्मा के खिलाफ ये एफआईआर लिखी गई है...जबकि अस्पताल के खिलाफ जांच समिति की रिपोर्ट में प्रबंधन साफ तौर पर दोषी पाया गया था...और उस दौरान विज ने कहा क्या था...जरा वो भी सुन लीजिये....
तो अब सवाल ये है कि जब अस्पताल ने लापरवाही बरती...जब बिना वजह महंगी दवाइयों और उपकरणों का इस्तेमाल किया गया...जब डेंगू की एक बच्ची के लिए 2700 ग्लव्स और 600 सीरिंज खपा दिए गए...जब विज इसे मौत नहीं बल्कि हत्या तक करार दे डाला...तो फिर कार्रवाई का दम भरने वाली सरकार की लिखवाई एफआईआर में अस्पताल प्रबंधन का जिक्र क्यों नहीं है...सवाल बड़ा है...मगर जवाब आना...अभी बाकि है....-