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गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां को 25 अगस्त को जब साध्वियों से रेप का दोषी करार दिया गया... उसी दिन उसे कोर्ट के बाहर से भगा ले लाने का साजिश थी।
पुलिस की हर मूवमेंट की जानकारी गुरमीत के खास भक्तों तक पहुंच रही थी। पंचकूला हिंसा की जांच कर रही एसआईटी का दावा है कि डेरामुखी को भगाने की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस की इंटेलिजेंस विंग के कॉन्स्टेबल लालचंद ने ली थी।
सोमवार को लालचंद को एसआईटी ने पूछताछ के लिए सेक्टर-26 स्थित क्राइम ब्रांच में बुलाया और फिर उसे अरेस्ट कर लिया गया। आज लालचंद को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार.. जैसे ही गुरमीत को कोर्ट से बाहर लाया गया.. लालचंद दूसरे पुलिसवालों से उसे बुलेटप्रूफ गाड़ी में बिठाने को कहने लगा.. लेकिन पुलिसकर्मी तैयार नहीं हुए। फिर लालचंद ने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया। प्लान-बी था गुरमीत की गाड़ी में कमांडो को बिठाना.. ये कमांडो उसका खास था। उसका जिम्मा गुरमीत को गनप्वाइंट पर गाड़ी से उतारना था। उसके बाद उसे बुलेटप्रूफ गाड़ी से चंडीगढ़ में एंटर कराना था... लेकिन भागना हिमाचल की तरफ था।
माना जा रहा है कि लालचंद के वायरलेस सेट में सारे मैसेज फ्लैश हो रहे थे। कोर्ट के बाहर उसने एक कमांडो को अफसरों से भिड़ने का इशारा किया। कमांडो ने भी ऐसा ही किया... लेकिन इस दौरान भी लालचंद गुरमीत तक नहीं पहुंच पाया। यहां भी साजिश नाकाम रही तो गुरमीत का पीछा किया।
फिर लालचंद ने गुरमीत को छुड़ाने में एक आखिरी कोशिश और की। अपनी गाड़ी से गुरमीत को लेकर जा रही गाड़ी का पीछा कमांड तक किया। एक बुलेटप्रूफ गाड़ी साथ लगा दी.. ताकि बीच में घेरकर उसे छुड़ाया जा सके।
डेरामुखी के कमांडोज को पुलिस मूवमेंट का हर अपडेट मिला था। फैसले वाले दिन पुलिस ने तीन स्टेशनों पर वायरलेस सेट लगाए थे। लालचंद को फ्रीक्वेंसी पता थी.. इसलिए हर सूचना गुरमीत की जैमर लगी गाड़ी में बैठे कमांडोज को वायरलेस सेट पर भी मिल रही थी।-