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हरियाणा सरकार ने दिसंबर के महीने में आयोजित गीता महोत्सव के दौरान श्रीमद भगवत गीता की 10 प्रीतियां इस समारोह में शरीक होने वाले कुछ अति विशिष्ट लोगों को उपहार के तौर पर दी थी। ख़ास तौर पर तैयार करवाई गयी इस प्रत्येक प्रति की कीमत करीब 38 हज़ार रूपए थी। इस तथ्य का खुलासा स्वयं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए किया है।
हिसार निवासी राहुल सेहरावत द्वारा डाली गयी आरटीआई के जवाब में बोर्ड ने बताया है कि गीता की इन विशेष प्रतियों पर कुल 3 लाख 80 हज़ार रूपए खर्चे गए हैं। यह खुलासा होने के बाद प्रदेश की सियासत फिर से गरमा गयी है। विपक्ष पहले से ही गीता महोत्सव को लेकर सरकार पर निशाना साध रहा था। महोत्सव के नाम पर कर दाता का पैसा बर्बाद करने के आरोपों से सरकार को जूझना पड़ रहा था। अब इस नए खुलासे ने खट्टर सरकार को एक बार फिर कटघरे में ला खड़ा किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हूड्डा पहले से ही इस सरकार को इवेंट मैनेजमेंट सरकार बताते रहे हैं। इस खरीद को लेकर तंज कसते हुए हूड्डा ने कहा है कि शायद सोने का इस्तेमाल कर के इन प्रतियों को बनाया गया होगा। हूड्डा ने फिर से दोहराया है कि इस सरकार का विकास से कोई लेना देना नहीं है और सिर्फ तमाशबीनी कर के यह लोगों को उलझाए रखना चाहती है। वहीँ आईएनएलडी भी इस मसले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने आरोप लगया है की गीता महोत्सव की आड़ में करोड़ों का घोटाला हुआ है। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाए जाने की मांग की है। पार्टी के सांसद दुष्यंत चौटाला ने सीएम खट्टर से कहा है कि वे यह साफ़ करें कि गीता जो बाज़ार में अधिक से अधिक 200 रूपए में उपलब्ध है उसकी कीमत 38000 रूपए कैसे हो गयी। दुष्यंत चौटाला के मुताबिक आरटीआई से मिली जानकारी ही यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस मामले में सरेआम घोटाला हुआ है।
यही नहीं इस समारोह के दौरान और भी कई बड़े खर्चे किये गए हैं जिन्हें लेकर सरकार को उत्तर देना पड़ सकता है। इसी समारोह में भाजपा सांसद और अदाकारा हेमा मालिनी की डांस परफॉरमेंस भी थी। इस परफॉरमेंस के लिए उन्हें 15 लाख रूपए दिए गए जबकि एक अन्य कलाकार मनोज तिवारी को यहाँ आने के लिए 10 लाख रूपए दिए गए। तिवारी भी दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष हैं। आरटीआई के ज़रिए ये जानकारी हासिल करने वाले राहुल सेहरावत अभी भी मिली जानकारी से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है की उन्हें केवल 4 करोड़ 32 लाख रूपए के खर्चे की जानकारी दी गयी है। हालाँकि इस कार्यक्रम के लिए 15 करोड़ रूपए सैंक्शन किए गए थे।
वहीँ खट्टर सरकार इस खर्च को पूरी तरह से वाजिब ठहरा रही है। सीएम खट्टर का कहना है कि यह खर्च काफी विचार विमर्श और सोच समझ के साथ किया गया है। खट्टर का कहना है कि प्रदेश की समृद्ध परम्परा और इतिहास को सभी ओर फैलाने की दिशा में इस प्रकार के खर्च करने ज़रूरी होते हैं। वहीँ भाजपा के ही एक और नेता जवाहर यादव ने ट्वीट कर के इस सवाल को खड़ा करने वाले लोगों को ज्ञान का दुश्मन बताया है।-