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अमेरिका ने भी मानी भारतीय वैक्सीन कोवैक्सिन की 'ताकत', कही ये बात

Written by  Arvind Kumar -- April 29th 2021 10:13 AM
अमेरिका ने भी मानी भारतीय वैक्सीन कोवैक्सिन की 'ताकत', कही ये बात

अमेरिका ने भी मानी भारतीय वैक्सीन कोवैक्सिन की 'ताकत', कही ये बात

नई दिल्ली। भारत में निर्मित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन को व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार और अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फौसी ने कोरोना के 617 म्यूटेंट को बेअसर करने के लिए कारगर पाया गया है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर उपलब्ध ताजा डाटा से इस बात की पुष्टि होती है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में ताजा हालातों को देखते हुए टीकाकरण इस वायरस के खिलाफ एक बहुत ही महत्वपूर्ण मारक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए सभी संभव उपाय अपनाने और बाधाओं को दूर करने के प्रयास में भारत के टीकाकरण अभियान ने 14 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। केंद्र सरकार ने देश के भीतर टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसके साथ ही भारत ने 90 से अधिक देशों को भारत निर्मित टीकों की आपूर्ति भी की है। भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण 1 मई से शुरू हो रहा है। यह भारत के टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण होगा। पिछले हफ्ते भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने भारत में बनाई गई कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण परिणामों की घोषणा की। कोवैक्सीन ने 78% की ओवरआल क्लीनिकल एफीकेसी और गंभीर कोविड-19 रोग के खिलाफ 100% एफीकेसी दिखाई है। यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र में फ्री लगेगा कोरोना का टीका, उद्धव कैबिनेट का फैसला यह भी पढ़ें- पीएम केयर्स फंड से खरीदे जाएंगे 1 लाख पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग को तीन जनवरी को मंजूरी मिली थी। परीक्षण के परिणामों में बाद यह सामने आया कि यह टीका 78 फीसदी तक प्रभावी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 21 अप्रैल को यह जानकारी दी थी कि वैक्सीन ले चुके प्रति 10,000 व्यक्तियों में से सिर्फ 2 - 4 लोग ही संक्रमित पाए जा रहे हैं। इसके अनुसार कोवैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों में 0.04 प्रतिशत लोगों में ही संक्रमण पाया गया है। इसे कोरोना के कई स्ट्रेंस से सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम पाया गया है।


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