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CBSE Marks Policy: सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) के विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद सीबीएसई छात्रों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए एक फैसले में कहा कि छात्र मुख्य परीक्षा या इम्प्रूवमेंट परीक्षा (CBSE Improvement Exam) में अर्जित किए गए नंबरों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।
इस फैसले के बाद अब छात्रों के पास अपना बेस्ट मार्क्स चुनने का विकल्प रहेगा। कोर्ट का यह फैसला सीबीएसई की कक्षा 10वीं और 12वीं दोनों बोर्ड परीक्षाओं (CBSE Board Exam) पर लागू होगा।
सीबीएसई के नियम के मुताबिक इम्प्रूवमेंट परीक्षा में अर्जित किए गए नंबरों को ही अंतिम माना जाता है। भले ही इम्प्रूवमेंट परीक्षा में मुख्य परीक्षा से कम नंबर आए हों। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई के इस नियम को खारिज किया है। इसके मुताबिक इम्प्रूवमेंट परीक्षा में मिले नंबर ही आखिरी माने जाते है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘यह विकल्प विद्यार्थियों के पास रहेगा कि वह मुख्य परीक्षा और इम्प्रूवमेंट परीक्षा दोनों में से किसके अंक लेना चाहते हैं।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि सीबीएसई ने सुधार परीक्षा में मिले अंकों को ही अंतिम मानने की नीति के पीछे कोई तर्क नहीं दिया है। स्टूडेंट्स सिर्फ अपने ओरिजिनल मार्क्स बरकरार रखना चाहते हैं, जो उन्हें मुख्य परीक्षा में मिले। अगर इंप्रूवमेंट एग्जाम (CBSE Improvement Exam) देने के बाद मार्क्स कम हो गए और उन्हीं को अंतिम माना गया तो इससे उनके एडमिशन पर असर पड़ेगा।
जस्टिस खानविलकर ने सीबीएसई से पूछा कि ‘हमें कारण बताइए कि ऐसा क्यों संभव नहीं है? जो भी मार्क्स स्टूडेंट के लिए सही है, उसे स्वीकार करने में क्या आपत्ति है? पहले भी बोर्ड ने ऐसा किया है, तो अब उसी नियम को लागू करने में क्या गलत है?
बेंच ने कहा कि सीबीएसई ने नियम बदलने को लेकर कोई वैध तर्क नहीं दिया है। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सीबीएसई बोर्ड (CBSE) पहले की तरह ही स्टूडेंट्स को दोनों में से बेस्ट मार्क्स चुनने का विकल्प देगा। यह स्टूडेंट्स पर निर्भर करेगा कि वह फाइनल रिजल्ट में मुख्य परीक्षा के मार्क्स रखना चाहते हैं या इंप्रूवमेंट एग्जाम के अंक।-