यहां 500 सालों से लगता गधों का मेला, इस बार 2 लाख रुपये में बिका 'सलमान'
चित्रकूट/ज्ञानेंद्र शुक्ला: मेले तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन गधों का मेला शायद ही आपने कहीं देखा हो। चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे नयागांव में गंधों का मेला लगता है। यहां गधों की खरीद फरोख्त की जाती है।
जिला प्रशासन बकायदा है इसके लिए सभी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराता है। चित्रकूट में यह मेला 16वीं शताब्दी से चल रहा है, इसकी शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने की थी। माना जाता है कि औरंगजेब को अपने हथियार औक अन्य सामग्री आदि ढोने के लिए गधों की जरूरत पड़ती थी। तब से उसने इस मेले की शुरुआत की, जिससे चित्रकूट के आसपास व दूर-दूर के गांवों से लोग यहां आकर गधा और खच्चर लाकर खरीदते और बेचते हैं।
यहां आने वाले ज्यादातर गधों को फिल्म स्टार का नाम दिया जाता है, जिसमें अमिताभ बच्चन,सलमान, शाहरुख जैसे नाम रखे जाते हैं और इनकी बोली लगाई जाती है। इस बार सबसे ज्यादा बोली सलमान नाम के गधे की 2 लाख रुपये तक लगी है। वहीं शाहरुख 90 हजार में बिका।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गधों के इस मेले में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है, जिसका कारण सामान ढोने वाले अत्याधुनिक भारी वाहन हैं। गधा व्यापारियों ने बताया कि मेले में ठेकेदार 30 रुपये प्रति खूंटा जानवर के बांधने का लेते हैं और 500 रुपये प्रति जानवर एंट्री फीस का लिया जाता है और सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता है।