मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद दूर नहीं हुई कर्मचारियों की नाराजगी
पंचकूला। (उमंग श्योराण) मुख्यमंत्री द्वारा शनिवार को कर्मचारी संगठनों के साथ मीटिंग करने के उपरांत की गई घोषणाओं से कर्मचारी नाराज हैं। कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की प्रमुख मांगों का समाधान नहीं करना चाहती है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने यह जानकारी मंगलवार को पंचकूला में पत्रकार वार्ता में बोलते हुए दी। उन्होंने कहा कि सरकार 2014 में विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने जारी किए घोषणा पत्र में पंजाब के समान वेतनमान देने, ठेका प्रथा समाप्त करने, अनुबंध कर्मियों को पक्का करने की नीति बनाने व शिशु शिक्षा भत्तें में दोगुना बढ़ोतरी करने का वादा किया था लेकिन अब सरकार द्वारा इनसे मुकरना निंदनीय है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि सरकार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने, जोखिम पूर्ण काम करने वाले कर्मचारियों को पुलिस की तर्ज पर पांच हजार रुपए जोखिम भत्ता देने, हरियाणा रोडवेज में स्कीम के तहत निजी बसों को रोडवेज के बेड़े में शामिल करने के निर्णय को रद्द करने जैसी मांगों को भी मानने को तैयार नहीं है। यह भी पढ़ें : ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान पर कांग्रेस ने पीएम मोदी से मांगा स्पष्टीकरण [caption id="attachment_321438" align="alignright" width="700"] मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद दूर नहीं हुई कर्मचारियों की नाराजगी[/caption] सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि शनिवार को मुख्यमंत्री ने जनवरी 2016 से देय मकान किराए भत्तें में भी पहली अगस्त 2019 से बढ़ोतरी करने की घोषणा की है। सरकार कर्मचारियों के 43 महीने के एचआरए के एरियर के करीब 6808 करोड़ रुपए डकार गई है। सरकार ने एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम को बहाल किया है। लेकिन इसमें कम से कम 5 साल और अधिकतम 52 साल की उम्र की शर्त थोपने का काम किया है। जबकि सच यह है कि सेवा के पहले पांच साल की उम्र में मृत्यु होने वाले परिवार नौकरी की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। 'सरकार जनता से माफी मांगे और किलोमीटर स्कीम रद्द करे' सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के नेताओ कहा कि विजिलेंस जांच की रिपोर्ट (जो सरकार ने स्वीकार की है) से बिल्कुल साफ हो गया है कि रोडवेज कर्मचारियों की 18 दिन की हड़ताल ने सरकार के 900 करोड़ रुपए और रोडवेज को बर्बाद होने से बचा लिया है। कर्मचारी सही थे और सरकार व परिवहन विभाग के मंत्री और अधिकारी गलत थे। उन्होंने कहा कि सरकार के गलत निर्णय के खिलाफ रोडवेज कर्मचारियों ने 16 अक्टूबर से 2 नवंबर तक 18 दिन की हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ा। जिसके कारण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसलिए अब सरकार को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए और किलोमीटर स्कीम को पुरी तरह रद्द करते हुए विभाग के तत्कालीन एसीएस व परिवहन आयुक्त व अन्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने इस हड़ताल में शामिल रोडवेज व अन्य विभागों के कर्मचारियों और आम जनता के खिलाफ की गई सभी प्रकार की उत्पीड़न एवं दमन की कार्यवाहियों को तुरंत प्रभाव से समाप्त करने की मांग की। यह भी पढ़ें : स्वराज इंडिया ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए जारी की प्रत्याशियों की पहली सूची