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जमीन धोखाधड़ी मामले की जद में कई अधिकारी, FIR के बाद गिर सकती है गाज

Written by  Arvind Kumar -- January 19th 2019 09:32 AM -- Updated: January 19th 2019 03:46 PM
जमीन धोखाधड़ी मामले की जद में कई अधिकारी, FIR के बाद गिर सकती है गाज

जमीन धोखाधड़ी मामले की जद में कई अधिकारी, FIR के बाद गिर सकती है गाज

बहादुरगढ़। (प्रदीप धनखड़) सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर जमीन हड़पने के मामले में बहादुरगढ़ के दो तहसीलदारों समेत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। आरोपियों ने 2006 और 2007 के दरमियान जसौरखेड़ी के जीत सिंह की जमीन उसके वारिसों को बताए बिना ही बेच दी थी। आरोप है कि तहसीलदारों ने रजिस्ट्री की और पटवारी व कानूनगों ने तहसील में गलत तरीके से रिकॉर्ड चढ़ा दिया।

  • दो तहसीलदारों, कानूनगो और पटवारी समेत 8 पर FIR
  • धोखाधड़ी से जसौरखेड़ी में जमीन बेचने का मामला
  • गांव की बेटी सीमा की शिकायत पर हुई कार्रवाई
  • सीमा के पिता की मौत के बाद जमीन रिकॉर्ड में की हेराफेरी
  • आसौदा थाना पुलिस ने किया मामला दर्ज, जांच शुरू
इस मामले में जसौर खेड़ी गांव के पूर्व सरपंच और उसकी पत्नी भी आरोपी बनाए गए हैं। स्टेट क्राईम ब्रांच की जांच के बाद ये एफआईआर दर्ज हुई है। इससे पहले पीड़िता सीमा ने स्थानीय स्तर पर भी शिकायत दी थी लेकिन दो डीएसपी और हालिया तहसीलदार की जांच रिपोर्ट में दोषियों को बचा दिया गया जिसके बाद स्टेट क्राइम ब्रांच ने जांच की और जांच रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की। यह भी पढ़ें : पत्रकार छत्रपति हत्याकांड : अंशुल के इस खुलासे से हरियाणा की राजनीति में मचा भूचाल थाना आसौदा के प्रभारी सूरजभान का कहना है कि जांच कर दोषियों को गिरफ्तार किया जायेगा। फिलहाल देखना ये है कि जिस मामले में पहले दो डीएसपी आरोपियों को लगभग क्लीन चिट दे चुके थे उसी तरह के इस मामले में जिला पुलिस कितनी संजीदगी से कार्रवाई कर पाती है। क्या है पूरा मामला दरअसल जसौरखेड़ी के जुगलाल के तीन बेटे और तीन बेटियां थीं। जुगलाल की मौत के बाद उनके हिस्से की सारी जमीन तीन बेटे और तीन बेटियों के नाम आ गई। तीन बेटों में भूप सिंह और सूरजभान निःसंतान थे। भूप सिंह की मौत 1993 और सूरजभान की मौत 1998 में हो गई। कानूनन उनकी मौत के बाद उनके हिस्से की जमीन में एक हिस्सा शिकायतकर्ता सीमा के पिता जीत सिंह के नाम भी आना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साल 2005 में सीमा के पिता जीत सिंह की भी मौत हो गई। इसके बाद ही सारा खेल खेला गया। भूप सिंह और सूरजभान की मौत पहले हुई इस लिहाज से उनकी मौत के बाद उनके वारिसों के नाम रिकॉर्ड में इंतकाल दर्ज होना था। लेकिन पटवारी और कानूनगो ने पहले जीत सिंह की मौत का इंतकाल दर्ज किया और उसके बाद भूप सिंह और सूरजभान की मौत का इंतकाल दर्ज किया। जिसके कारण भूप सिंह और सूरजभान की जमीन में मिलने वाला हिस्सा उन्हें नहीं मिल पाया और आरोपियों ने शिकायतकर्ता की तीन बुआओं से मिलकर उनके हिस्से की जमीन भी बेच दी। साल 2017 में भी दो मकान और पशुओं के बाड़े को बेचने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी और अब जिस मकान में शिकायतकर्ता की मां रहती है उसे बेचने के मामले में भी एफआईआर दर्ज हो गई है।

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