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कोरोना की रफ्तार धीमी होने के बाद अभी से तीसरी लहर की तैयारी शुरू करे सरकार- हुड्डा

Written by  Arvind Kumar -- May 31st 2021 06:37 PM
कोरोना की रफ्तार धीमी होने के बाद अभी से तीसरी लहर की तैयारी शुरू करे सरकार- हुड्डा

कोरोना की रफ्तार धीमी होने के बाद अभी से तीसरी लहर की तैयारी शुरू करे सरकार- हुड्डा

चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि आज कोरोना की दूसरी लहर थोड़ी धीमी जरूर पड़ी है। लेकिन सरकार को अभी से संभावित तीसरी लहर के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने पर जोर देना होगा। इतना ही नहीं, कोरोना के बाद की स्थितियों को संभालने के लिए भी अभी से योजना बनानी होगी। क्योंकि महामारी के साथ महंगाई, मंदी, गरीबी और बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है। हरियाणा में बेरोजगारी दर 35.1% पर पहुंच गई है। यानी प्रदेश का हर तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। इसलिए कोरोना के दौरान जिन लोगों के काम-धंधे चौपट हो चुके हैं, सरकार को उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए। Congress Leader Bhupinder Singh Hoodaसाथ ही उन्होंने कहा सरकार को कोरोना की वजह से अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये देने चाहिए। उन परिवारों के लिए पेंशन का ऐलान करना चाहिए, जिनके परिवार में कोई कमाने वाला नहीं बचा है। इसके लिए सरकार को पहले कोरोना से मरने वालों का सही आंकड़ा जुटाना होगा। क्योंकि, अब ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि सरकार अपनी तरफ से जो आंकड़ा दे रही है, मरने वालों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। साथ ही सरकार को सभी फ्रंट लाइन वॉरियर्स के लिए विशेष बीमा का ऐलान करना चाहिए, जिसमें डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारियों, आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स, पुलिसकर्मियों और पत्रकारों समेत हर वो कर्मचारी होना चाहिए जो घर से बाहर निकलकर लोगों की जान बचाने के काम में लगा है। यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की बड़ी घोषणा यह भी पढ़ें- मेडिकल सुविधाओं की कालाबाजारी पर हरियाणा पुलिस का एक्शन Congress Leader Bhupinder Singh Hoodaहुड्डा आज डिजिटल माध्यम से पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर पत्रकारों ने मुख्यमंत्री द्वारा टीकाकरण को लेकर दिए गए बयान पर उनसे सवाल किया। इसके जवाब में हुड्डा ने कहा कि वो टीकाकरण की रफ्तार धीमी करने वाले मुख्यमंत्री के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते। टीकाकरण की रफ्तार घटाने की बजाए उसे बढ़ाने की जरूरत है। आज जो आंकड़े आए हैं उससे पता चला है कि सरकार टीके की सिर्फ 20 हजार डोज ही रोज लगा रही है। अगर इसी रफ्तार से टीकाकरण हुआ तो सभी लोगों को वैक्सीन लगाने में कई साल लग जाएंगे। मुख्यमंत्री द्वारा कल की गई एक टिप्पणी पर पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि उन्होंने कभी महामारी और आपदा जैसे मुद्दों पर राजनीति नहीं की। उन्होंने सिर्फ नेता प्रतिपक्ष होने के नाते सरकार तक लोगों की समस्याएं पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने जो सवाल पूछे वो उनके निजी सवाल नहीं थे, बल्कि वो बेड, दवाई और ऑक्सीजन के बिना कोरोना से जूझ रही जनता के सवाल थे। लेकिन, मुख्यमंत्री ने उनमें से किसी सवाल का जवाब नहीं दिया क्योंकि, उनके पास जवाब है ही नहीं। इसलिए मुख्यमंत्री कोरोना जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार की विफलता छिपाने के लिए राजनीतिक टीका टिप्पणियों का सहारा ले रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि महामारी को रोकने में सरकार विफल रही है। ये बात उन्होंने नहीं बल्कि खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने मानी थी। उन्होंने बयान जारी करके कहा था कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब व्यवस्थाएं बनाने के लिए सेना का सहारा लेना होगा। साथ ही भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद ने भी स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमराने की बात कही थी। बार-बार अखबारों ने तथ्यों के साथ बताया कि सरकार कोरोना से मौत के आंकड़ों पर पर्दा डाल रही है। ऐसे में जरूरी था कि विपक्ष सरकार को सच्चाई से अवगत करवाए। सरकार को भी सच्चाई को कबूल करने से गुरेज नहीं होना चाहिए। क्योंकि जब वो सच्चाई को मानेगी, तभी उससे निपटने के लिए बेहतर तैयारी कर पाएगी। Bhupinder Singh Hooda on Farmers Protest | होली नहीं मनाएंगे भूपेंद्र सिंह हुड्डाअपने बयानों और खुले पत्रों के जरिए उन्होंने सरकार को लगातार सकारात्मक सुझाव दिए हैं। अगर सरकार उन सुझावों पर अमल करती है तो इससे सरकार और प्रदेश की जनता दोनों को लाभ होगा। 2029 तक मुख्यमत्री रहेंगे की टिपण्णी पर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री अहंकार का परिचय दे रहे हैं। मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि भविष्य में किसकी सरकार बनेगी, ये तय करना जनता का काम है। आज सरकारें बनाने का नहीं लोगों की जान बचाने का समय है। हुड्डा ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाए सरकार अपनी विफलताओं का ठीकरा विपक्ष और किसानों के सिर फोड़ना चाहती है। जबकि उसे एक कदम आगे बढ़कर किसानों से बात करनी चाहिए और सम्मानजनक समाधान निकालना चाहिए।


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