मैदानों में शीतलहर से ठिठुरन बढ़ी, 0.3 °C तक पहुंचा रात का तापमान
हिसार। (संदीप सैनी) पहाड़ों में हो रही बर्फबारी और शीतलहर ने मैदानी इलाकों में ठिठुरन बढ़ा दी है। उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही है जिससे रात्रि तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। बीती रात्रि का तापमान करीब 0.3 डिग्री सेल्सियस मापा गया। वहीं अधिकतम तापमान लगभग 12 डिग्री सेल्सियस रहा। उत्तर पश्चिमी हवाएं 29-30 दिसम्बर तक चलने की संभावना है जिससे रात्रि तापमान में गिरावट आने व पाला पड़ने की संभावना बन गई है तथा 30 दिसम्बर से हवा में बदलाव आने तथा उत्तर पूर्वी या पूर्वी हो जाने की संभावना है जिससे रात्रि तापमान में बढ़ोतरी तथा 31 दिसम्बर देर रात्रि से पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव देखने को मिल सकता है। [caption id="attachment_373753" align="aligncenter" width="700"] मैदानों में शीतलहर से ठिठुरन बढ़ी, 0.3 °C तक पहुंचा रात का तापमान[/caption] पाला बनने की प्रक्रिया सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक पर या इससे नीचे चला जाता है तब वायु में उपस्थित जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है। दोपहर बाद हवा के न चलने तथा रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। राज्य में पाला आमतौर पर दिसम्बर से फरवरी के महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है। पाले के कारण फसलों, सब्जियों व छोटे फलदार पौधों व नर्सरी पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। फसलों व सब्जियों व छोटे फलदार तनों, फूलो, फलों में उपस्थित द्रव बर्फ के रूप में जम जाता है तथा ये पौधों की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं तथा पत्तियों को झुलसा देता है। [caption id="attachment_373755" align="aligncenter" width="700"] मैदानों में शीतलहर से ठिठुरन बढ़ी, 0.3 °C तक पहुंचा रात का तापमान[/caption] पाले से फसलों का ऐसे करे बचाव पाले का हानिकारक प्रभाव अगेती सरसों, आलू, फलों व सब्जियों की नर्सरी तथा छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है। इससे बचाव के लिए किसान भाई यदि पानी उपलब्ध हो तो विशेषकर फसलों, सब्जियों व फलदार पौधो में सिंचाई करे ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके। किसान खेत के किनारे पर तथा 15 से 20 फ़ीट की दूरी के अंतराल पर जिस ओर से हवा आ रही है रात्रि के समय कूड़ा कचरा सुखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सके जिससे पाले का हानिकारक प्रभाव न पड़े। सीमित क्षेत्र में लगी हुई फल व सब्जियों की नर्सरी को टाट, पॉलीथिन व भूसे से ढके। इन उपायों से फसलों, सब्जियों व फलदार पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। यह भी पढ़ें: हाईवे पर भिड़े दो दर्जन वाहन, 2 लोगों की मौत, एक दर्जन से अधिक घायल ---PTC NEWS---