पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले पर SC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने कहा पीएम की सुरक्षा का मामला गंभीर
hearing in sc on PM modi security lapse: पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की ओर से दायर इस अर्जी में पीएम की सुरक्षा में खामी का मुद्दा उठाया गया है। याचिका में पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की गई है। अर्जी में पंजाब सरकार को एक पक्ष बनाया गया है। अर्जी की एक कॉपी उसे भी भेजी गई है। कोर्ट में दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जब पीएम को सड़क मार्ग से जाना होता है तो SPG DGP से पूछती है। उनकी हरी झंडी के बाद ही यात्रा शुरू हो सकती है। जब सड़क बंद थी तो पीएम के काफिले को मंजूरी क्यों दी गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह मामला सिर्फ किसी पर नहीं छोड़ा जा सकता और यह सीमा पार आतंकवाद का मामला है इसलिए NIA अधिकारी जांच में सहायता कर सकते हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ एसपीजी एक्ट का हवाला दिया गया। केंद्र ने एससी से उच्च स्तरीय जांच की मांग की। केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पीएम की सुरक्षा में इस तरह की चूक भविष्य में नहीं होनी चाहिए। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पीएम की सुरक्षा में लापरवाही दुर्लभतम मामले की श्रेणी में आता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कनाडा के आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस की भी चर्चा हुई है। केंद्र की तरफ से SG तुषार मेहता ने भी कहा कि पीएम की सुरक्षा में चूक जिसमें राज्य शासन और पुलिस प्रशासन दोनों पर जिम्मेदारी थी उसकी जांच राज्य सरकार नहीं कर सकती। जांच में NIA का होना भी जरूरी है। यह भी कहा गया कि पंजाब के गृह सचिव खुद जांच और शक के दायरे में हैं तो वो कैसे जांच टीम का हिस्सा हो सकते हैं? कोर्ट में पंजाब की तरफ से पेश एडवोकेट जनरल ने कहा कि उसी दिन घटना के कुछ घंटों के अंदर ही जांच कमेटी बना दी गई थी। पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि जब केंद्र हमारी बनाई जांच समिति पर सवाल उठा रही है तो हमें भी केंद्र की समिति पर आपत्ति है। पंजाब के एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि हमने घटना के फौरन बाद FIR भी दर्ज की, जांच कमेटी भी बना दी, फिर भी हमारी नीयत पर केंद्र सवाल उठा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पीएम की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने दोनों (केंद्र और राज्य) को सुना। केंद्र को राज्य सरकार के जांच आयोग पर आपत्ति है और राज्य की टीम पर केंद्र कों आपत्ति है। कोर्ट ने पूछा कि क्या आप लोग साझा जांच कमेटी या आयोग बना सकते हैं? कोर्ट ने पूछा कि राज्य की कमेटी में आखिर आपत्ति क्या है। कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास सुरक्षित रखें जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोमवार को सुनवाई पूरी होने और अगले आदेश तक कोई भी सरकार अपनी जांच के आधार पर किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस सुझाव को मान लिया है जिसमें जांच एजेंसी एनआईए के किसी आला अधिकारी को भी जांच में शामिल किया जाए। सीजेआई ने कहा कि एनआईए भी जांच में समुचित सहयोग करे।