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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर जुटे हुए हैं। इस बीच भारी बारिश से दिल्ली मोर्चो में भारी नुकसान हो रहा है। किसानों के लंगर व रहने के प्रबंधन में अव्यवस्था आयी है। सड़को व ढलान वाली जगहों पर पानी भर आया है। हालांकि बारिश अभी जारी है व आने वाले समय ने भी मौसम विभाग ने संभावना जताई है, किसानों ने स्थिति को संभालने की कोशिश कर दी है।
किसानों का आरोप है कि उपलब्ध संसाधनों की मदद से स्थिति को संभाला जा रहा है। सरकार की तरफ से कोई प्रबंध नहीं होने से किसान खुद ही इन हालातों से लड़ रहे है। वहीं किसानों ने इस नुकसान के लिए भी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है।
किसान नेताओं ने कहा कि इतने लंबे समय से लड़ रहे संघर्ष में किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रखा है। सरकार ने किसानों को बदनाम करने की तमाम कोशिशें की परंतु असफल रही। देश मे किसी फसल या राज्य में उत्पादन या निर्यात बढ़ने का पूरा श्रेय सरकार लेती है। किसानों के कल्याण का दिखावा करने वाली सरकार आज दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे हर मानवीय और अन्य नुकसान की भी जिम्मेदारी ले। भाजपा का यह दोगला चरित्र अब सबने सामने आ गया है।
किसान नेताओं ने बताया कि आंदोलन में अब तक 470 से ज्यादा किसान शहीद हो गए है। अनेक आंदोलनकारियो को अपनी नौकरी, पढ़ाई व काम छोड़ने पड़े है। इन सबके बावजूद सरकार का ऐसा रवैया यह बताता है कि सरकार कितनी अमानवीय है व बेफिक्र है। सरकार अगर अपने नागरिको की फिक्र करती है व उनका कल्याण चाहती है तो किसानों से बातचीत शुरू कर उनकी मांगें मान लेनी चाहिए।
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