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HRERA Gurugram का प्रोजेक्ट अलॉटीज के पक्ष में बड़ा फैसला

Written by  Arvind Kumar -- September 19th 2020 10:36 AM -- Updated: September 19th 2020 11:27 AM
HRERA Gurugram का प्रोजेक्ट अलॉटीज के पक्ष में बड़ा फैसला

HRERA Gurugram का प्रोजेक्ट अलॉटीज के पक्ष में बड़ा फैसला

गुरुग्राम। हरियाणा रीयल एस्टेट रेगूलेटरी अथॉरिटी (हरेरा), गुरुग्राम द्वारा परियोजना के आबंटियों के हितों की रक्षा के लिये एक मामले में एक अभूतपूर्व फैसला सुनाया गया है जिससे बिल्डर द्वारा वित्तीय संस्था का ऋण न चुकाने की स्थिति में प्रोजेक्ट टेक ओवर करने पर भी अलॉटी के अधिकारों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा। हरेरा, गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. के.के. खंडेलवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रियल एस्टेट मार्केट में यह प्रचलन है कि बिल्डर जब किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण लेता है तो वह रियल एस्टेट की जमीन, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में बनने वाली यूनिटस को वित्तीय संस्थान को मोरगेज कर देता है और जो पैसा बुकिंग कराने वाले ग्राहकों से किश्तों के रुप में आता है और जिस एकाउंट में आता है उस एकाउंट को भी मोरगेज कर दिया जाता है। जब कभी भी बिल्डर डिफाल्ट करता है तो वित्तीय संस्थान के पास मोरगेज के अधिकार होने के कारण उस प्रोजेक्ट को वित्तीय संस्थान टेकओवर कर लेता है। HRERA Gurugram decision on project allottees Haryana Latest News यह भी पढ़ें: हरसिमरत के इस्तीफे के बाद दुष्यंत पर भी बढ़ा दबाव यह भी पढ़ेंकृषि मंत्री जेपी दलाल बोले- अध्यादेशों पर विपक्षी दल बेवजह कर रहे राजनीति उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थान द्वारा प्रोजेक्ट के टेक ओवर करने के कारण अलॉटीज एक अनिश्चितता की स्थिति में आ जाते हैं और उनके अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्हें यह भी नहीं मालूम होता कि बुकिंग कराई गई यूनिट उन्हें कब मिलेगी, मिलेगी या नहीं मिलेगी। बिल्डर के खाते में उनके द्वारा जो पैसे जमा कराये जाते हैं, उन पैसों का क्या होगा और बैंक जब इस प्रोजेक्ट की नीलामी करेगा तो जो भी इस प्रोजेक्ट का खरीददार होगा क्या वह उन्हें जो युनिट बुक कराई गई है क्या उस यूनिट को देने के लिये जिम्मेवार होगा या उसका जो पैसा उसका प्रोजेक्ट में जमा है उसे वापिस करने के लिये उत्तरदायी होगा। इससे अलॉटीयों के अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वे इस प्रोजेक्ट में अपनी मेहनत की कमाई लगा चुके होते हैं और उन्हें यह मालूम नहीं होता है कि अब प्रोजेक्ट का क्या होगा। खंडेलवाल ने कहा कि चूंकि प्रोजेक्ट में युनिट के लिये जो पैसा अलॉटी ने लगाया है उसके लिये बिल्डर बायर एग्रीमेंट में जो समझौता होता है वह अलॉटी और प्रोमोटर के बीच में था। वित्तीय संस्थान जिसने प्रोमोटर को ऋण दिया है उनका अलॉटी से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। वित्तीय संस्थान प्रोजेक्ट को इसलिये टेकओवर करता है क्योंकि उन्होंने अपनी वसूली करनी थी। लेकिन सरफैसरी एक्ट, 2002 में यह प्रावधान है कि यदि वित्तीय संस्थान इस एक्ट के तहत प्रोजेक्ट को नीलाम करता है वह सभी देनदारियों को प्रकट करेगा ताकि तीसरी पार्टी को यह मालूम होना चाहिये कि उनकी क्या देनदारियां थी। उन्हें यह मालूम होना चाहिये कि वह उनको पूरा करने के लिये जिम्मेवार है। HRERA Gurugram decision on project allottees Haryana Latest News उन्होंने कहा कि हरियाणा रियल स्टेट रेगूलेटरी अथॉरिटी, गुरुग्राम द्वारा निर्धारित किया गया है कि यदि वित्तीय संस्थान मोरगेज करने के कारण डिफाल्ट की स्थिति में प्रोजेक्ट टेकओवर करते हैं तो वह प्रमोटर के स्थान पर आ जायेंगे और वह प्रोमोटर कहलाएंगे। ऐसी स्थिति में वित्तीय संस्थानों के जो ऋण हैं, जो देनदारियां हैं, वह अलॉटी के हित उनके अधीन नहीं हो सकते हैं। बिल्डर बायर एग्रीमेंट होने के बाद कोई भी प्रोपर्टी मोरगेज नहीं की जा सकती है। यदि मोरगेज किया गया है तो अलॉटी के अधिकार सुरक्षित रहेंगे। इस निर्णय द्वारा पहली बार यह निर्धारित किया गया है वित्तीय संस्थान, जिनके पास सम्पत्ति मोरगेज है और जिसने टेकओवर किया है वह प्रमोटर की परिभाषा में आयेंगे और उसकी उन देनदारियों की जिम्मेदारी बनी रहेगी, जो जिम्मेदारी मूल प्रोमेटर की थी। यदि वे सम्पत्ति को नीलाम करना चाहता हैं तो सभी परिसम्पत्तियों को घोषित करेंगे और प्राधिकरण से अनुमति लेंगे और उसके बाद ही नीलामी कर सकते हैं। वित्तीय संस्थान यह सुनिश्चित करेंगे कि जो 70 प्रतिशत प्राप्ति है वो रेरा के खाते में जाये। उन्होंने कहा कि यदि यह पाया गया कि कोई वित्तीय संस्थान प्राधिकरण के अनुमोदन के बिना परियोजना को नीलाम करने में शामिल है तो इसे गम्भीरता से लिया जायेगा तथा उस देनदार प्रोमोटर व वित्तीय संस्थान/व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई आरम्भ की जायेगी और इस तरह की कार्रवाई की अनुमति पूर्ण रूप से आवंटियों द्वारा निवेश किये गये अपने धन की रक्षा के लिये होगी जो बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों व समकक्षों के समान शक्तिशाली व संसाधन सम्पन्न नहीं हैं। ---PTC NEWS---


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