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80 प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो कोरोना पर लग सकती है लगाम!

Written by  Arvind Kumar -- April 02nd 2020 01:23 PM
80 प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो कोरोना पर लग सकती है लगाम!

80 प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो कोरोना पर लग सकती है लगाम!

नई दिल्ली। अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी को ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। पर, 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जा सकती है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा ये तथ्य सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस से जुड़ी एक नियमावली में पेश किए गए हैं। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता कहती हैं, “मास्क की कमी को देखते हुए इस नियमावली में घर पर मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। यह पहल मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है, जो मास्क पहनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास इन मास्कों तक पहुँच नहीं है। ऐसे में घर पर बनाए हुए मास्क उपयोगी हो सकते हैं।इनकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर दोबारा उपयोग कर सकते हैं।” कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने घर में बने मास्क पर केंद्रित एक विस्तृत नियमावली “सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क” जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए इस नियमावली में कहा गया है कि “मास्क उन्हीं लोगों पर प्रभावी हैं जो अल्कोहल युक्त हैंडवॉश या साबुन और पानी से हाथ साफ करते हैं। यदि आप मास्क पहनते हैं, तो आपको इसके इस्तेमाल और इसके उचित निस्तारण के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।” [caption id="attachment_398732" align="aligncenter" width="640"]If 80 percent of the population wears mask corona can be controlled 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो कोरोना पर लग सकती है लगाम![/caption] मास्क को क्यों पहना जाए? इस पर नियमावली कहती है कि एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति से संपर्क में आने पर कोविड-19 वायरस आसानी से फैलता है। वायरस को ले जाने वाली बूंदें इसे तेजी से फैलाती हैं और हवा में जीवित रहते हुए यह आखिरकार विभिन्न सतहों के संपर्क में आ जाता है। कोविड-19 को फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 किसी ठोस या तरल सतह (एयरोसोल) पर तीन घंटे तक और प्लास्टिक व स्टेनलेस स्टील पर तीन दिन तक जीवित रहता है। इस नियमावली में कहा गया है कि मास्क के उपयोग से संक्रमित व्यक्ति से निकले द्रव कणों में मौजूद वायरस के किसी दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश की आशंका कम हो जाती है। सुरक्षित मास्क पहनकर वायरस के सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश की संभावनाएं कम हो जाती हैं, जो इसके प्रसार को रोकने के लिहाज से अहम हो सकता है। हालाँकि, ,मास्क को ऊष्मा, यूवी लाइट, पानी, साबुन और अल्कोहल के एक संयोजन के उपयोग से स्वच्छ किया जाना जरूरी है। इस नियमावली को जारी करने का उद्देश्य मास्क, इनके उपयोग और मास्क के दोबारा उपयोग की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया की सरल रूपरेखा उपलब्ध कराना है, जिससे एनजीओ और व्यक्तिगत रूप से लोग खुद ऐसे मास्क तैयार कर सकें और देश भर में तेजी से ऐसे मास्क अपनाए जा सकें। प्रस्तावित डिजाइन के मुख्य उद्देश्यों में सामग्रियों तक आसान पहुंच, घरों में निर्माण आसान करना, उपयोग और पुनः उपयोग को आसान बनाना शामिल है। (इंडिया साइंस वायर) ---PTC NEWS---


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