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लगातार बदलती जीवन शैली आप की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है। मसालेदार भोजन, देर तक जगना और घंटों सोशल मीडिया पर समय बीताना ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा रहे है। ऐसा हम नही कह रहे न्यूरोलॉजिस्ट विशेषज्ञों का कहना है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विपुल गुप्ता ने कहा कि मोबाइल-लेपटॉप पर समय बिताने की आदत दिमाग के लिए खतरनाक है। जो कि ब्रेन स्ट्रोक के साथ-साथ अन्य बीमारियों को भी बड़ा रही है। इतना ही नहीं आज की नौजवान पीढ़ी भी ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रही है। वहीं ब्रेन स्ट्रोक की सबसे बड़ी वजह जीवन शैली में आ रहे बदलाव के साथ-साथ धूम्रपान और तनाव भी है।
डॉक्टरों के मुताबिक तो स्ट्रोक के 70-80 फीसदी मामलों में इलाज मुमकिन है और मरीज को बचाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए। डॉक्टर विपुल गुप्ता ने कहा कि रोजमर्रा के जीवन में बदलाव और बुरी आदतों को अपनाने से स्ट्रोक की समस्या बढ़ रही है। भारत में हर चौथे व्यक्ति जीवन में कभी भी स्ट्रोक पड़ने का खतरा रहता है।
फिजिकल एक्सरसाइज में कमी, स्मोकिंग, शराब का अधिक सेवन जैसी आदतें देश की युवा आबादी को भी स्ट्रोक की तरफ धकेल रही हैं। भागदौड़ भरी इस लाइफ में टेक्नोलॉजी ने हमारा तो जीवन आसान बना दिया है, लेकिन शारीरिक मेहनत या फिजिकल एक्टिविटी को घटा दिया है।
इसके अलावा ज्यादा स्ट्रेस, डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी यंग जनरेशन को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की चपेट में ला रही हैं। लिहाजा, जरूरी है कि फिजिकल एक्सरसाइज को आदत में शुमार किया जाए, इससे न सिर्फ आप सेहतमंद रह सकते हैं, बल्कि बीमारियों को भी खुद से दूर रखने में कामयाबी पा सकते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्ष्ण
वहीं, डॉक्टर विपुल गुप्ता ने कहा कि लोगों को स्ट्रोक के लक्षणों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। स्ट्रोक के मामले में जागरुकता की कमी के चलते मरीजों को डिसैबिलिटी हो जाती है या वो मौत का शिकार हो जाते हैं। वहीं, कुछ लोगों को बोलने में दिक्कत होने लगती है, या समझने में परेशान होती है और कुछ लोग कंफ्यूज रहने लगते हैं। सिर में तेज दर्द के साथ आंखों की रोशनी का कम होना भी ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों में से एक है।
स्ट्रोक की स्थिति में समय हर एक मिनट कीमती होता है। हर मिनट की देरी से मरीज की हालत बिगड़ती जाती है। एक मिनट की देरी पर पेशेंट के ब्रेन में 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स डैमेज हो जाते हैं। स्ट्रोक पड़ने के 6-8 घंटे बाद का समय गोल्ड पीरियड कहलाता है। इस पीरियड में दिमाग की ब्लॉक नसों को खोला जा सकता है और ब्लड के फ्लो को रिस्टोर किया जा सकता है।