बर्फ में रोजाना 32 किलोमीटर का सफर तय कर डाक पहुंचाता है ये डाकिया, सरकार ने किया सम्मानित
लाहौल स्पीति में भौगोलिक परिस्थितियां बेहद कठिन हैं। सर्दियों में पड़ने कड़ाके की ठंड और कई महीने दुनिया से कटा रहने के कारण यहां कर्मचारी अपनी सेवाएं देने से हमेशा कतराते हैं। कई कर्मचारी ताबदला होने के बाद यहां अपना पदभार भी नहीं संभालते। यहां जीवन बेहद मुश्किल है, लेकिन डाक विभाग में तैनात लाहौल घाटी के गोशाल गांव के 40 वर्षीय प्रेम लाल ने मिसाल कायम की है। प्रेम लाल 40 साल से बिना रुके और थके लोगों के घरों में चिट्ठियां पहुंचा रहे हैं। चिट्ठी पहुंचाने के लिए ग्रामीण डाक सेवक प्रेम लाल रोज 32 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। उनके समर्पण को देखते हुए डाक विभाग के प्रतिष्ठित मेघदूत पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया है।सरकार की ओर से एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि भी पुरस्कार में मिली है। लाहौल स्पीति सालभर के अधिकतर समय में बर्फ से ढका रहता है। टेढ़े मेढ़े रास्तों पर हिमस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। सर्दियों में मौसम में लोग घरों के अंदर रहते हैं, लेकिन प्रेम लाल बिना रुके हुए अपनी जान खतरे में डालकर घर घर जाकर सालभर डाक पहुंचाने का काम बिना रुके हुए करते आ रहे हैं। प्रेम लाल का कहना है कि लाहौल स्पीति में सभी डाकघरों में सेवाएं देना चुनौती से भरा है। प्रेम लाल ने कहा कि आर्थिक परिस्थिति खराब होने के कारण वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। 8वीं के बाद 25 मार्च 1981 को डाक विभाग में बतौर पोस्टमैन ज्वाइन किया। गोशाल, केलंग, लौट, जोबरंग, केलंग, गोशाल, सालग्रां में सेवाएं दीं। सुबह डाक लेने जाते हैं तो पता नहीं होता कि शाम को घर लौट पाएंगे या नहीं, लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभाई।