चंडीगढ़ विवाद: सत्ता से बाहर होने के बाद ही क्यों आती है पार्टियों को हरियाणा-पंजाब के विवादों की याद: कुंडू
चंडीगढ़ के मुद्दे पर बुलाए गए हरियाणा विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र को सम्बोधित करते हुए आज जनसेवक मंच संयोजक एवं महम विधायक बलराज कुंडू ने सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी को निशाने पर लेते हुए गंभीर सवाल सदन में उठाये। हरियाणा के हकों को लेकर पेश किये गए प्रस्ताव पर बोलते हुए कुंडू ने कहा कि सबसे पहले तो मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं। साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आप दोनों से मेरे कई गंभीर सवाल भी हैं। कुंडू ने कहा कि अब तक कितनी ही बार ऐसा हुआ है जब केंद्र से लेकर हरियाणा और पंजाब में एक समय पर एक ही पार्टी की सरकारें रहीं तब इन विवादों का समाधान करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्होंने भाजपा से लेकर कांग्रेस और इनेलो एवं अकाली दल तक की सरकारों का जिक्र करते हुए इन सभी दलों और इन पार्टियों के नेताओं की नीयत पर सवाल खड़े किए। कुंडू ने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि हरियाणा और पंजाब के बीच विवादों का निपटारा करवाने की बजाय इन मुद्दों को लेकर आप सबने अपने-अपने स्वार्थ की राजनीति की है, जबकि तीनों जगह एक ही पार्टी सत्ता में होने से उसका लाभ उठाते हुए शांति के साथ सभी मुद्दों का हल निकाला जा सकता था, लेकिन अफसोस की सभी दलों ने लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ ही किया। सदन में कुंडू ने हरियाणा निर्माण से लेकर शाह कमीशन की रिपोर्ट और माननीय सुप्रीम कोर्ट तक के हरियाणा के हक में आये निर्णयों का हवाला देते हुए औऱ उन पर अभी तक कोई अमल न होने को लेकर भी पूर्व की सरकारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये। साथ ही किसान आंदोलन की बदौलत जुड़े हरियाणा और पंजाब के भाईचारे का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि विवादों को हवा देकर इस भाईचारे को खराब ना करके केंद्र सरकार से बातचीत करके शांति के साथ दोनों राज्यों में बातचीत होनी चाहिए। बातचीत के जरिये ही राजधानी चंडीगढ़ और एसवाईएल समेत बाकी सभी विवादों का भी निपटारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से दोनों राज्यों के बीच भाईचारे का माहौल बना है और हमें चाहे पंजाब हो या हरियाणा दोनों तरफ से ऐसी कोई हरकत नहीं होनी चाहिए जिससे इस भाईचारे पर जरा भी आंच आये।