दिल्ली में मिला खतरनाक वायरस मंकीपॉक्स का मरीज, नहीं है कोई ट्रैवल हिस्ट्री
भारत में मंकीपॉक्स का चौथा केस दर्ज हुआ है। चौथा केस राजधानी दिल्ली में दर्ज किया गया है। इससे पहले तीन केस केरल में दर्ज किए जा चुके हैं। केरल में दर्ज किए गए तीनों मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री विदेश से जुड़ी है। तीनों ही यूएई से वापस लौटे थे, जबकि दिल्ली में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाए गए मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। दिल्ली में मिले नए मरीज को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मंकी पॉक्स से संक्रमित 31 वर्षीय व्यक्ति की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। इस मरीज को तेज बुखार और स्किन में घावों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज को आइसोलेट वार्ड में रखा गया है। 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के मरीज मिल चुके हैं। एक दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था है। इस रोग को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने का यह मतलब है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप एक असाधारण घटना है। WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है। मंकी पॉक्स संक्रमण कुछ मामले ही गंभीर हो सकते हैं। इस वायरस के दो स्ट्रेन्स हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन है। मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस है ये जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह संक्रमण बंदर के अलावा चूहा, गिलहरी और डॉर्मिस जैसे जानवरों में भी पाया जाता है। ये स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बहुत कम देखे गए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैलने की संभावना है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।