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कोरोना के बाद धान की बढ़ रही लागत, किसान मुनाफा तो दूर, कर्ज लेकर कर रहे गुजारा

Written by  Arvind Kumar -- June 23rd 2021 11:10 AM
कोरोना के बाद धान की बढ़ रही लागत, किसान मुनाफा तो दूर, कर्ज लेकर कर रहे गुजारा

कोरोना के बाद धान की बढ़ रही लागत, किसान मुनाफा तो दूर, कर्ज लेकर कर रहे गुजारा

रोहतक। (अंकुर सैनी) गेहूं की कटाई के बाद खेतों में धान की फसल लगनी शुरू हो चुकी है। मगर, इस बार फिर किसानों पर कोरोना की मार पड़ी है। बढ़ते डीजल और लेबर के दाम के कारण लागत बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि वे कर्ज लेकर खेती करने और अपने गुजारा चलाने को मजबूर हैं। दरअसल प्रदेश में हुए लॉकडाउन के कारण धान लगाने वाली लेबर अपने गांव लौट गई थी। लॉकडाउन के बीच ही उन्हें यूपी और बिहार राज्य से लाना पड़ रहा है। किसान बताते हैं कि लेबर को लाने का खर्च और धान लगाने के लिए लेबर ने अपने दाम बढ़ा दिए हैं। इस बार लेबर 2500 रुपए प्रति एकड़ में धान लगा रही है। इसके अलावा देश में बढ़ रहे डीजल के दामों का असर सीधे तौर से फसल की लागत पर पड़ रहा है। यह भी पढ़ें- ना मंडी बंद हुई, ना MSP कम हुआ, कृषि को आधुनिक व मजबूत कर रही सरकार: डिप्टी सीएम यह भी पढ़ें- हुड्डा का आरोप- भर्तियां करने की बजाए, रद्द करने में जुटी है सरकार किसान महेंद्र और भूपेंद्र बताते हैं कि पिछले दो साल में लागत दोगुना हो चुकी है। नहर का पानी समय पर नहीं मिलने के कारण जनरेटर से ट्यूबवेल चलाना पड़ता है। फसल की बिजाई से लेकर कटाई तक लगभग 10 हजार रुपए के डीजल की खपत होती है। खाद व दवाई के दामों में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में धान की लागत लगभग 32 हजार रुपए तक आती है लेकिन मंडी में फसल के उचित दाम न मिलने की वजह से मुनाफा नहीं होता। किसान आज कर्ज लेकर खेती करता है। आज देश - प्रदेश के लोगों का पेट भरता है। सरकार फसल के दाम नहीं बढ़ा रही। बल्कि, अन्य चीजों के बढ़ते दाम के कारण लागत में बढ़ोतरी कर रही है। किसानों ने कहा कि सरकार उनकी आय दोगुना करना नहीं बल्कि महंगाई और लागत दोगुना करने का वादा कर रही है।


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