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परीक्षा पे चर्चा: पीएम मोदी की पाठशाला में छात्रों ने पूछे सवाल, प्रधानमंत्री ने दिए मजेदार जवाब

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Vinod Kumar
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परीक्षा पे चर्चा: पीएम मोदी की पाठशाला में छात्रों ने पूछे सवाल, प्रधानमंत्री ने दिए मजेदार जवाब
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा की। यह कार्यक्रम दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया। यहां पीएम मोदी सीधे छात्रों के साथ संवाद किया। इस कार्यक्रम में पीएम ने एक टीचर की तरह छात्रों से बातचीत की और उनके सवालों का जवाब भी दिया। बच्चों के साथ उनके अभिभावक और शिक्षक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। एग्‍जाम को लिख दें चिट्ठी पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि वे एक दिन एग्‍जाम को ही चिट्ठी लिख दें। उन्‍होंने मजाकिया अंदाज में कहा- हे डियर एग्‍जाम लिखकर शुरूआत कर सकते हैं। पीएम ने कहा कि छात्र एग्‍जाम को चिट्टी लिखकर बताएं, "मेरी तैयारी पूरी है। हिम्‍मत है तो मेरी परीक्षा लो। अरे तुम क्‍या मेरी परीक्षा लोगे, मैं तुम्‍हारी परीक्षा लूंगा।"
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publive-image बिना खेले कोई खिल नहीं सकता प्रधानमंत्री ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता। अपने प्रतिद्वंदी की चुनौतियों का सामना करना हम सीखते हैं। किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है। हालांकि, अभी तक खेलकूद को शिक्षा से अलग रखा गया। मगर अब बदलाव आ रहा है और जल्‍द और बदलाव आने को तैयार है। कभी-कभी खुद का भी एग्जाम लें पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी। अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती।
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publive-image परीक्षा से डरने की जरूरत नहीं पीएम ने कहा कि परीक्षा से डरने की क्या जरूरत। आप परीक्षा से कहे कि मैने इतनी तैयारी की है, इतना पढ़ा हूं, तुम्हारी क्या बिसात। इस दौरान पीएम मोदी ने पुस्तक एग्जाम वॉरियर का भी जिक्र किया। क्या परीक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए? परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्राओं ने पीएम मोदी से सवाल किया की क्या परीक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। घरवालों और शिक्षकों से डरें या फिर इसे त्योहार की तरह मनाना चाहिए? इस पर पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन जो अपने बाल काल में नहीं कर पाए वह चाहते हैं उसे बच्चा पूरा करे। हम बच्चों की सीमा अपेक्षा और खूबी को बिना पहचाने धक्का मारते हैं। अपने आशाओं के कारण बच्चों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन की बात भी सुननी है और हमें उन चीजों पर भी ध्यान देना है कि हम किसमें सामर्थ्य हैं।
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publive-image जब हम घबराहट की स्थिति में होते है तो परीक्षा की तैयारी किस तरह से करें? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, 'आपको डर क्यों लगता है क्या ये आपका पहला टेस्ट है परीक्षा हमारे जीवन का हिस्सा जब हम इतनी बार परीक्षा दे चुके है। इतनी बार परीक्षा देकर हम परीक्षा प्रूफ हो गए।। दूसरा आपके मन में जो तनाव होता है क्या ये तो नहीं है कि तैयारी में कमी है हो सकता है जितनी मेहनत चाहिए वो नहीं हुई होगी। मेरा आपसे आग्रह है पैनिक नहीं होना है। आप वो कुछ मत करिए जो आपने सुना है आप वो ही करिए जो आप करते हुए आए है। दबाव का वातावरण न पनपने दें।'  
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