प्रो. ललित मोहन सैनी ने मात्र 3500 रुपए में तैयार कर दिया वेंटिलेटर, अब पेटेंट के लिए करेंगे आवेदन
कुरुक्षेत्र। (अशोक यादव) पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एनआईटी कुरुक्षेत्र के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ललित मोहन सैनी ने मात्र 3500 रुपए की लागत से वेंटिलेटर तैयार किया है। प्रो. सैनी ने बताया कि कोरोना के कारण अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों के लिए वेंटिलेटर सबसे जरूरी है, लेकिन वेंटिलेटर की लागत बहुत अधिक होती है। इस कारण इनकी उपलब्धता कम है। ऐसे में डीआरडीओ ने भी प्राथमिकता के आधार पर वेंटिलेटर बनाने का काम शुरू किया है।
प्रो. सैनी ने बताया कि इस वेंटिलेटर को उन्होंने अपने एक विद्यार्थी और एक चिकित्सक के साथ मिलकर तैयार किया है। वहीं इसके पेटेंट के लिए भी उन्होंने आवेदन कर दिया है। प्रो. एलएम सैनी ने कहा कि वे चाहते हैं कि कोई इंडस्ट्री इस सस्ते वेंटिलेटर को बनाने के लिए आगे आए और लागत मूल्य पर इसे अस्पतालों में उपलब्ध करवा कोरोना पीड़ितों की मदद करें।
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प्रो. ललित मोहन सैनी ने मात्र 3500 रुपए में तैयार कर दिया वेंटिलेटर, अब पेटेंट के लिए करेंगे आवेदन[/caption]
कृत्रिम सांस उपलब्ध कराने में उपयोगी. प्रो. एलएम सैनी ने बताया कि 3500 रुपए की लागत वाला यह वेंटिलेटर मरीजों को कृत्रिम सांस उपलब्ध कराने में बेहद सहायक है। उन्होंने कहा कि इस वेंटिलेटर को सीधे एसी पर भी चलाया जा सकता है। ये ऑटोमेटिक सिस्टम से चलता है जिसका वॉल्यूम डॉक्टर मरीज की आयु के हिसाब से कम और ज्यादा भी कर सकते हैं। एसी बंद होने के स्थिति में भी यह वेंटिलेटर सात एएच की बैटरी पर कुछ समय तक चलता रहेगा।
प्रो. सैनी ने बताया कि इस वेंटिलेटर को बनाने में उन्हें तीन महीने का समय लगा है। उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर का मुख्य कार्य मरीज को कृत्रिम सांस उपलब्ध करवाना है। ऐसे काम करता है वेंटिलेटर. प्रो. एलएम सैनी ने बताया कि क्रैंक शिफ्ट मैकेनिज्म से एम्बयू बैग पर प्रेशर डाला जाता है। इसके बाद एम्बयू बैग से निकलने वाले कृत्रिम सांस को नाली के माध्यम से मरीज को दिया जाता है।
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