गुरु के परिवार को गुरबत में नहीं देख पाए शिष्य, किया कुछ ऐसा कि चारों ओर हो रही चर्चा (Video)
कुरुक्षेत्र (अशोक यादव) एक गुरु ही अपने शिष्य को सही राह और जीवन का मुल्य सिखाता है। एक ऐसे ही गुरु ने अपने शिष्यों को अच्छी शिक्षा दी, जीवन के मुल्य बताए। वही शिष्य जब सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचे, तो गुरु के घर की हालत को देख गुरु दक्षिणा के रूप में मिसाल कायम कर दी। हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के रहने वाले कुलभूषण कालड़ा की, जो एसएमबी गीता स्कूल में सामाजिक शास्त्र पढ़ाते थे। वे अपने सभी स्टूडेंटस को समाज के प्रति दया-भाव रखने की बातें सिखाते थे। जो बातें कुलभूषण अपने स्टूडेंटस को सिखाते थे, उसी की राह पर चलते हुए उनके स्टूडेंटस ने जब अपने गुरु के घर की हालत को देखा तो उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए। [caption id="attachment_275173" align="aligncenter" width="700"] स्टूडेंटस ने जब अपने गुरु के घर की हालत को देखा तो उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए।[/caption] कुलभूषण कालड़ा की मौत के बाद उनके घर में उनकी एक बेटी है जो मानसिक तौर पर दिव्यांग है और एक सातवीं में पढ़ने वाला नाती और तीसरी क्लास में पढ़ रही नातिन। कुलभूषण के बाद उनके परिवार को संभालने वाला उनके आगे-पीछे कोई नहीं था। घर की हालत इतनी बुरी हो गई कि अब दो वक्त की रोटी का सहारा भी उनके पड़ोसियों से चल रहा था। कुलभूषण के घर पहुंचे उनके पूर्व छात्र राकेश मेहता, संजय चौधरी, डॉ. पंकज शर्मा ने जब घर की हालत देखी तो उन्होंने अपने शिक्षक के घरवालों की मदद करने का फैसला किया। [caption id="attachment_275174" align="aligncenter" width="700"] दोनों बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा भी पूर्व छात्रों ने उठाने की जिम्मेवारी ली है।[/caption] संजय चौधरी ने बताया कि उस वक्त हमारे बैच में उनके गुरु से पढ़े हुए बच्चे आज कोई आइएएस, आईपीएस, इंजीनियर और उद्योगपति बन कर एक कुशल जीवन बिताने के काबिल बन गए हैं। उन्होंने अपने गुरु के परिवार की दशा देखते ही एकजुट होकर उनका सहयोग देने का फैसला किया। उनका कहना है कि इस परिवार की रोजी-रोटी का स्थायी बंदोबस्त करने के लिए उन्होंने घर के बाहर एक दुकान का निर्माण करने का फैसला किया है। जिससे उनके परिवार को आय हो सके। इसके अलावा दोनों बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा भी पूर्व छात्रों ने उठाने की जिम्मेवारी ली है। यह भी पढ़ें: बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस तो निरहुआ ने थामा बीजेपी का दामन