आज फिर होगी किसान संगठनों और सरकार में बातचीत, बड़ा ऐलान कर सकती है सरकार
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर से केंद्र सरकार और किसान संगठनों की बैठक होने जा रही है। किसान अभी भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार संशोधन की बात कर रही है। आज सरकार जरूर कुछ बड़ा ऐलान किसानों के लिए कर सकती है। ऐसे में देखना होगा कि क्या आज की बात सिरे चढ़ पाती है या नहीं? [caption id="attachment_464439" align="aligncenter" width="696"] आज फिर होगी किसान संगठनों और सरकार में बातचीत, बड़ा ऐलान कर सकती है सरकार[/caption] बता दें कि किसान पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं। पिछले कल किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाल कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था और सरकार को चेताया था कि अगर वक्त रहते उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन और तेज होगा। किसानों ने 26 जनवरी की परेड में शामिल होने का ऐलान भी किया हुआ है। यह भी पढ़ें- बर्ड फ्लू को लेकर हरियाणा अलर्ट पर, रिपोर्ट का इंतजार [caption id="attachment_464437" align="aligncenter" width="700"] आज फिर होगी किसान संगठनों और सरकार में बातचीत, बड़ा ऐलान कर सकती है सरकार[/caption] पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है। वहीं हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने कहा कि आज की बातचीत से समाधान की उम्मीद है। यह भी पढ़ें- भारत बायोटेक ने “कोवैक्सीन” को लेकर दी बड़ी अपडेट, जानिए [caption id="attachment_464440" align="aligncenter" width="696"] आज फिर होगी किसान संगठनों और सरकार में बातचीत, बड़ा ऐलान कर सकती है सरकार[/caption] धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक व्यक्ति आंदोलन में राजनीतिक एजेंडे के लिए आए हैं और रोटियां सेक रहें हैं। यह किसानों का आंदोलन है इसमें कोई दोराय नहीं है लेकिन इसमें राजनीतिक व्यक्ति अपने राजनीति स्वार्थ के लिए जुड़ रहा है। इस आंदोलन में लाल झंडे वाले भी आ गए हैं। वहीं ओपी धनखड़ ने आरोप लगाया कि पंजाब की सरकार किसान हितैषी होने का नकली ढोंग कर रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार किसान हित में फैसले ले रही है। धनखड़ ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि हुड्डा किसान हितैषी होने का ढोंग कर रहें हैं। हुड्डा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपॉर्ट लागू क्यों नहीं की?