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गुरुग्राम। (नीरज वशिष्ठ) विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन में शहीद हुए 21 साल का तरुण भारद्वाज का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव भोंडसी पहुंचा। इस दौरान गांव के हर युवा की जुबान पर तरुण भारद्वाज अमर रहे, भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद जैसे नारे गुंजायमान रहे। रियल हीरो को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े।
शहीद तरुण के परिजनों के मुताबिक तरुण सिपाही पद पर भर्ती हुआ लेकिन फौज का अफसर बनने के लिए लगातार पढ़ाई करने में जुटा था। तरुण भारद्वाज के चाचा की माने तो देश भक्ति का जज़्बा उसमें कूट कूट कर भरा था। तरुण जब नवंबर में 28 दिन की छुट्टी पर घर आया तो गांव के युवाओं को फौज में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता रहा।
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दरअसल देश की सरहदों की रक्षा करते अपने साथियों के साथ पेट्रोलिंग करते हुए तरुण बर्फ के तूफान में फंस गया था। तरुण भारद्वाज गुरुग्राम के भोंडसी गाव का रहने वाला था और 2019 में 16 राजपूत में भर्ती हुआ था। परिजनों की माने तो उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू तो दूसरी पोस्टिंग सियाचिन में हुई थी।-