New Update
सिरसा। (सुरेंद्र सावंत) धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण व लोगों में बढ़ने वाली बीमारियों को रोकने के लिए पराली का प्रबंधन उत्तर भारत के प्रदेशों के लिए मुश्किल बना हुआ था। दिल्ली स्थित पूसा के वैज्ञानिकों ने इस समस्या के समाधान के लिए पिछले लंबे समय से प्रयोग जारी रखे हुए थे। अब इसमें सफलता भी मिल गई है।
सिरसा की एमडी बॉयोकॉल्ज प्रा. लि. कंपनी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से एक ऐसा प्रोडेक्ट तैयार किया है जो बिना किसी प्रदूषण के पराली से पूरी तरह से निजात दिला देता है। इस प्रोडेक्ट के इस्तेमाल से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।
आपको बता दें पिछले 21 सालों से बॉयो और ऑर्गेनिक उत्पादों पर शोध एवं निर्माण में एमडी बॉयोकॉल्ज उल्लेखनीय कार्य कर रही है। इसी का परिणाम को कंपनी को पराली प्रबंधन के लिए कैप्सूल तैयार करने व बाजारों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी आईसीएआर व आईएआरआई द्वारा दी गई है।
यह भी पढ़ें: प्रदेश का किसान कांग्रेसी नेताओं के झांसे में आने वाला: ओपी धनखड़
यह भी पढ़ें: पूरी ताकत से हो रहा Border Infrastructure का विकास: पीएम मोदी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के अन्नापूर्ण ने प्रोडेक्ट की लॉचिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने प्रोडेक्ट की उपयोगिता व फायदों के बारे में अवगत करवाया।
एमडी बॉयोकॉल्ज प्रा. लि. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेश सेठी ने बताया कि उनकी कंपनी को जो जिम्मेवारी मिली है उसे वे पूरी निष्ठा से पूर्ण करेंगे। फिलहाल कंपनी एक हजार कैप्सूल प्रतिदिन तैयार कर रही है। शीघ्र ही लक्ष्य बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा प्रोडेक्शन की जाएगी ताकि पराली जलाने की बजाए प्रबंधन किया जा सके। यह कैप्सूल कृषि विभाग के साथ मिलकर सरपंचों को उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि गांवों में उचित इस्तेमाल हो सके।
---PTC NEWS----