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पति की मौत के वक्त संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, आज अपने पैरों पर खड़ी है कंचन (Video)

Written by  Arvind Kumar -- March 08th 2019 05:23 PM -- Updated: March 09th 2019 11:53 AM
पति की मौत के वक्त संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, आज अपने पैरों पर खड़ी है कंचन (Video)

पति की मौत के वक्त संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, आज अपने पैरों पर खड़ी है कंचन (Video)

भिवानी। (कृष्ण सिंह) यह कहावत तो हम सभी ने सुनी ही होगी कि हिम्मत हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। भिवानी की रहने वाली एक महिला ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। जिसने अपने जीवन में विषम परिस्थितियां आने पर भी हार नहीं मानी बल्कि हर मुश्किल का सामना कर अपने जीवन को सक्षम बनाने में जुटी रही। भिवानी की रहने वाली कंचन दिव्यांग है जो अचानक पति की मौत हो जाने के बाद अपने परिवार में 2 बेटियों और एक बेटे को अकेले ही संभाल रही है। जिस वक्त कंचन के पति की मौत हुई उस वक्त पूरे देश में नोटबंदी हुई थी। उसी वक्त कंचन पर ऐसा दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था कि कंचन के पास अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। नोटबंदी के ऐसे वक्त में परिजनों तक ने अपना मुंह मोड़ लिया था लेकिन कंचन ने हिम्मत जुटाई और जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम कर अपने पति का संस्कार किया। [caption id="attachment_266736" align="aligncenter" width="700"]Kanchan पति की मौत हो जाने के बाद अपने परिवार में 2 बेटियों और एक बेटे को अकेले ही संभाल रही है।[/caption] पति की मौत के बाद कंचन समाज से हारी नहीं बल्कि समाज का मुकाबला करते हुए अपनी पढ़ाई के दम पर आंगनवाड़ी में नौकरी शुरू कर दी। आंगनवाड़ी में नौकरी के साथ-साथ वह यूनियन में भी अपना सफल प्रदर्शन करती रही। कंचन ग्रेजुएट है तथा जेबीटी और एनटीटी का कोर्स भी उन्होंने किया हुआ है। कंचन के परिवार में उसकी दो बेटियां और एक बेटा रहते हैं। कंचन अपने तीनों बच्चों को थोड़ी सी ही तनख्वाह में पढ़ा लिखाकर अपने परिवार का पेट पाल रही है। [caption id="attachment_266737" align="aligncenter" width="700"]Brave Women अपनी पढ़ाई के दम पर आंगनवाड़ी में नौकरी शुरू कर दी।[/caption] कंचन का सपना है कि उसके बच्चे एक बड़ा मुकाम हासिल करें। कंचन का कहना है कि आज उसके बच्चे एक सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन किसी से पढ़ाई लिखाई में कम नहीं है। कंचन की बड़ी बेटी प्राची बारहवीं कक्षा में पढ़ रही है जिसका कहना है कि वह लॉ ग्रेजुएट कर जज बनेंगी जिसके लिए वह तैयारी भी कर रही है। कंचन का कहना है कि महिलाओं को कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। अपने जीवन की हर परिस्थिति का डट कर सामना कर आगे बढ़ने वाली कंचन ने आज सभी महिलाओं के बीच मिसाल कायम कर दी है। [caption id="attachment_266738" align="aligncenter" width="700"]Bhiwani कंचन अपने तीनों बच्चों को थोड़ी सी ही तनख्वाह में पढ़ा लिखाकर अपने परिवार का पेट पाल रही है।[/caption] बेशक कंचन का एक हाथ बेकार है, दिव्यांगता का यह दंश उन्हें बचपन से ही झेलना पड़ रहा है लेकिन वह किसी भी काम में किसी से पीछे नहीं है। कंचन दिव्यांग होने के बावूजद इरादों से इतनी मजबूत है कि उसने अपने भाई पर गोली चलाने वाले आरोपी को भी दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया था। यह भी पढ़ें: हरियाणा की पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनी सौम्या


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