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शारदीय नवरात्रि के इस पावन पर्व पर शुक्रवार को पांचवें दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जा रही है। ऐसा माना जाता है कि अगर सच्चे मन और विधि-विधान से स्कंदमाता की पूजा की जाए, तो माता प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि देने के साथ संतान प्राप्ति भी होती है।
मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा और भक्ति को सर्वोत्तम माना गया है। स्कंदमाता की अराधना से मोक्ष भी मिलता है। स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है इसी कारण इनकी पूजा से भक्तों को अलौकिक तेज मिलता है।
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जानी जाती हैं। सिंह मां स्कंदमाता की सवारी है।
शुक्रवार को स्कंदमाता की पूजा का समय दिन के 12.08 बजे से लेकर रात्रि 10.34 बजे तक है। इस संबंध में स्वदेशी सोशल मीडिया मंच कू ऐप पर मशहूर ज्योतिषाचार्य गुरुदेव जीडी वशिष्ठ ने स्कंदमाता को याद करते हुए लिखा, "सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते। भये भ्यस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमो स्तुते॥
अगर बात करें स्कंदमाता की पूजा विधि की तो माता के इस रूप को प्रसन्न करने के लिए केले का भोग लगाकर जरूरतमंदों को बांटना सबसे श्रेयस्कर है। इस दिन ब्राह्मणों को केला दान करने से बल और बुद्धि में बढ़ोतरी होती है। स्कंदमाता का प्रिय रंग सफेद है। संतान की चाह रखने वाले अगर स्कंदमाता की पूजा सही ढंग से करते हैं तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है। इसके अलावा परिवार में खुशहाली, मोक्ष पाने और सफलता पाने के लिए भी स्कंदमाता की पूजा परिणाम देती है