रेसलर्स यौन उत्पीड़न केस में बृजभूषण को मिली अंतरिम जमानत

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को अंतरिम जमानत दे दी।

By  Rahul Rana July 18th 2023 04:14 PM

ब्यूरो : एक बड़ी सफलता में, दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को अंतरिम जमानत दे दी। बृजभूषण की नियमित जमानत पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी। 

सुनवाई की अगली तारीख तक बृजभूषण को अंतरिम जमानत दे दी गई है। अदालत ने प्रत्येक आरोपी को 25,000 रुपये के जमानत बांड पर अंतरिम जमानत दे दी।


गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 15 जून को बृज भूषण शरण सिंह और विनोद तोमर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। यह मामला महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज किया गया था। विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव के अनुसार आरोप पत्र आईपीसी की धारा 354, 354डी, 345ए और 506 (1) के तहत दायर किया गया था।

आपको बता दें कि पहलवानों की शिकायत के आधार पर बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गईं हैं । एक को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था और एक नाबालिग पहलवान के मामले में रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की गई है। दूसरी एफआईआर कई पहलवानों की शिकायत पर दर्ज की गई थी। 


दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो मामले पर सबूतों की कमी का हवाला देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की। दिल्ली पुलिस ने 15 जून को एक रिपोर्ट दायर की जिसमें भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ POCSO मामले को रद्द करने की सिफारिश की गई। यह उस नाबालिग के बाद आया है, जिसने डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और उसने अपना बयान बदल दिया था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि मामले में कोई सहयोगी सबूत नहीं था।

इस बीच, पहलवानों द्वारा आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धारा 354, 354 ए, 354 डी आईपीसी के तहत और आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ धारा 109/ 354/354 ए/506 आईपीसी के तहत अपराध की प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।



दिल्ली पुलिस ने कहा, POCSO मामले में, जांच पूरी होने के बाद, हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक पुलिस रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और खुद पीड़िता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। 


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