देवघर रोपवे हादसा: 45 घंटे बाद सेना ने पूरा किया रेस्क्यू ऑपरेशन, 44 लोगों को किया गया रेस्क्यू
झारखंड के देवघर में त्रिकुट पर्वत पर रोप-वे हादसे के 45 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया। रोप-वे की ट्रॉलियों में फंसे लोगों में से 44 को बचा लिया गया है। हादसे में कुल 4 लोगों की मौत हुई है और 12 से ज्यादा घायल हैं। रेस्क्यू के दौरान दूसरे दिन भी एक महिला ट्रॉली से गिर गई। उसकी मौत हो गई। सोमवार को भी एक युवक की हेलिकॉप्टर में चढ़ाने के दौरान गिरने से जान चली गई थी। सेना, वायु सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ के द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त अभियान में सोमवार को 33 लोगों को बचाया गया था। वहीं आज 13 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। देवघर रोपवे हादसे को झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में जांच के भी आदेश जारी किए हैं। 26 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होगी। देवघर में देवघर में रविवार को रामनवमी की पूजा करने और घूमने के उद्देश्य से यहां सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंचे थे। इस दौरान रोपवे की एक ट्राली नीचे आ रही थी, जो ऊपर की ओर जा रही ट्राली से टकरा गई। इस दौरान कई ट्रालियां ऊपर ही फंस गईं, जिसमें 48 लोग सवार थे। रविवार शाम चार बजे हादसा हुआ। इसके बाद बचाव अभियान शुरू किया गया था। बचाव अभियान के लिए सेना, एयरफोर्स, आईटीबीपी, एनडीआरएफ की मदद ली गई। ये ऑपरेशन तारों पर लटके लोगों को बचाने के लिए चलाया जा रहा था। इस ऑपरेशन की मुकिश्लों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 50 जिंदगियां कई तारों के बीच झूल रहीं थीं। ट्रॉली लटकी हुई थी और हर ट्रॉली में 4 लोगों की जान कैद थी। ऐसे में सेना के हेलिकॉप्टर तारों के ज्यादा नजदीक नहीं जा सकते थे। क्योंकि उससे और बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। वहीं, अब इस मामले से जुड़े कई खुलासे भी होने शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना काल में बंद किए गए रोपवे का परिचालन शुरू करने से पहले मेंटेनेंस चेक नहीं किया गया था। लूट की पराकाष्ठा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार की ओर से इसके मेंटेनेंस के लिए पैसे लिए जाते रहे लेकिन रोपवे की मरम्मती और देखभाल तक नहीं की गई और सीधे इसे चालू कर दिया गया। अब इस पूरे मामले को अब झारखंड उच्च न्यायालय ने संज्ञान ले लिया है। बताया जा रहा है कि जब घटना हुई तो मेंटेनेस अधिकारी भाग खड़े हुए थे।