मानव भारती विश्वविद्यालय के छात्रों का भविष्य अधर में, सुनवाई टली, नहीं कर पा रहे नौकरी के लिए आवेदन

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में फर्जी डिग्री मामले में सुनवाई चल रही है। अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च तक के लिए टल गई है।

By  Jainendra Jigyasu March 3rd 2023 09:41 PM -- Updated: March 4th 2023 12:13 AM

शिमला। हिमाचल प्रदेश के सोलान स्थित निजी विश्वविद्यालय मानव भारती के छात्रों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में फर्जी डिग्री मामले में सुनवाई चल रही है। अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च तक के लिए टल गई है। इस वजह से विद्यार्थी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं और उनका भविष्य अधर में लटकता हुआ दिख रहा है।फिलहाल छात्रों से संबंधित सभी रिकॉर्ड और डिग्रियां पुलिस के कब्जे में है, जहाँ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम इनकी जाँच कर रही है।

पुलिस जांच में मानव भारती विश्वविद्यालय की 43,000 डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं। वहीं, एसआईटी के अनुसार फर्जी तरीके से करवाए गए कोर्सों की हजारों फर्जी डिग्रियां देशभर में बेचकर करोड़ों रुपए कमाए गए हैं।

पुलिस जांच में पता चला है कि 12 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं और फर्जी डिग्रियों का यह खेल 2010 से चल रहा है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले में जांच करने का अनुरोध किया था। वहीं, कुछ छात्रों ने निजी तौर पर कोर्ट के समक्ष याचिकाएं भी दायर की थी। इनमें विश्वविद्यालय पर अनियमितताएँ बरतने का आरोप लगाया था, जिससे उनका भविष्य धूमिल हो रहा है।

वर्ष 2019, 2020 और 2021 में जो विद्यार्थी परीक्षाएं पास कर चुके हैं, उन्हें मानव भारती विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं। जब छात्रों ने इस मामले में विश्वविद्यालय से जानकारी लेनी चाही तो उन्हें बताया गया कि विश्वविद्यालय के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की वजह से यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड एसआईटी के पास है। इस वजह से विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पाएगा।

विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करके पुलिस को जल्द से जल्द जाँच पूरी करने के निर्देश देने का आग्रह किया है। इससे संबंधित छात्रों को उनकी डिग्री, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज समय पर मिल सकें। पुलिस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फर्जी डिग्रियां बिकने का खेल शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद से ही शुरू हो जाता था। इसके लिए कई एजेंट डिग्रियों का सौदा करते थे। और लाखों करोड़ों रुपए में इनका नकद लेन-देन होता था।

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