अब हिमाचल सरकार नहीं भरेगी विधायकों का इनकम टैक्स, कोर्ट के नोटिस से टूटी नींद
हिमाचल प्रदेश में अब माननीयों को मिलने वाले वेतन भतों पर खुद इनकम टैक्स देना होगा। हाईकोर्ट के नोटिस से डरी सरकार ने पिछले कल हुई कैबिनेट में यह निर्णय लिया है। अभी तक वेतन भत्तों के ऊपर सरकार ही माननीयों का टैक्स अदा करती थी जो साल में करीब दो करोड़ बनता है। जयराम कैबिनेट ने माननीयों के वेतन भतों वाले एक्ट में संशोधन करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत अब हर विधायक को अपना इनकम टैक्स खुद करना होगा। इसके लिए बाकायदा सरकार अध्यादेश लाकर विधानसभा में संशोधन करेगी। उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। मार्च महीने की 28 तारीख को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। इससे पहले की मामले की अगली सुनवाई होती, राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला ले लिया कि अब वेतन पर टैक्स खुद माननीयों को भरना होगा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रफीक मोहम्मद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है।यशपाल राणा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में कहा (Himachal cabinet meeting) गया है कि विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार की तरफ से टैक्स भरना असंवैधानिक है। याचिका में दिए गए तथ्यों में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश में 2018-19 में माननीयों के वेतन पर सरकार ने 1।79 करोड़ रुपए टैक्स भरा था। वर्ष 2019-20 में ये राशि 1।78 करोड़ रुपए से अधिक थी। इस तरह पांच साल में सरकार नौ करोड़ रुपए से अधिक की रकम माननीयों के वेतन पर टैक्स के रूप में अदा करती है। यूपी, पंजाब, हरियाणा व मध्य प्रदेश में सरकार ही विधायकों, मंत्रियों के वेतन पर टैक्स भरती है। संभावना थी कि 42 दिन के भीतर हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करता। उस सुनवाई में सरकार को नोटिस का जवाब देना था। साथ ही याचिकाकर्ता ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा, भाजपा नेता महेंद्र सिंह ठाकुर व निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को पार्टी बनाया था। मामले की अगली सुनवाई से पहले ही सरकार ने कैबिनेट में उक्त फैसला ले लिया। कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया गया कि सरकार इस मामले में (HP Cabinet Decision) अध्यादेश के जरिए इस प्रावधान को हटाएगी। गौरतलब है कि देश भर में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हिमाचल में जोरदार आंदोलन हुआ था। आंदोलन के दौरान ये मांग की गई कि यदि कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ नहीं मिल सकता तो विधायकों को भी पेंशन छोड़नी चाहिए। इसी बीच, ये मुद्दा भी उठा कि विधायकों के वेतन पर तो (Today Cabinet Decisions) सरकार टैक्स भरती है। एक कार्यकाल के बाद विधायकों की पेंशन बढ़ती रहती है। फिर इसी मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई कि विधायकों, मंत्रियों आदि को मिलने वाले वेतन पर सरकार क्यों टैक्स भरे? अब सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला ले लिया कि विधायकों, मंत्रियों को अपने वेतन का टैक्स खुद भरना होगा। इस फैसले से सरकार के खजाने पर हर साल पड़ने वाला पौने दो करोड़ रुपए से अधिक का बोझ कम हो जाएगा।