दिल्ली के बाद अब हरियाणा में लागू होगी नई आबकारी नीति, 8 सदस्यीय पैनल का हुआ गठन

ववर्तमान आबकारी नीति जून में समाप्त हो जाएगी। राज्य सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है।

By  Shivesh jha March 15th 2023 02:05 PM

ववर्तमान आबकारी नीति जून में समाप्त हो जाएगी। राज्य सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है। सदस्यीय समिति का गठन किया है। सरकार का अनुमान है कि 2022-23 में शराब के व्यापार और बिक्री से राज्य को 10,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी। 

बता दें कि आबकारी राजस्व पिछले तीन वर्षों में 47% बढ़ा है। 2020-21 में राजस्व 6,791.9 करोड़ रुपये और 2021-22 में 7,938.8 करोड़ रुपये रहा। इस सालाना रेवेन्यू का एक चौथाई से ज्यादा हिस्सा गुड़गांव से आता है। एनसीआर शहर में उत्पाद शुल्क राजस्व 2020-21 में 2,100 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2,600 करोड़ रुपये हो गया। 

अधिकारियों ने कहा कि वे अगले वित्त वर्ष के लिए उत्पाद शुल्क संग्रह में 10% की वृद्धि का लक्ष्य बना रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि 2023-24 में गुड़गांव से कमाई 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। नई नीति का अनावरण करने से पहले, समिति के सदस्य विभिन्न समूहों और हितधारकों से प्रतिक्रिया और सुझाव लेंगे। 

दिल्ली में आबकारी नीति को लेकर उठे विवाद के बीच इस नीति पर हरियाणा के एनसीआर के जिलों के शराब कारोबारियों पर भी खासी नजर रहेगी। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हर साल की तरह हम अंतिम नीति का मसौदा तैयार करने से पहले हितधारकों के साथ बैठक करेंगे। 

शराब विक्रेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी नहीं करेगी। गुड़गांव में शराब की बिक्री का लाइसेंस शुल्क पहले से ही अधिक है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि आगे कोई वृद्धि नहीं होगी। आबकारी विभाग राज्य के राजस्व संग्रह में महत्वपूर्ण योगदान देता है और नई नीति को व्यापारियों के हित को ध्यान में रखना चाहिए। 

एक विक्रेता ने कहा कि एक शराब की दुकान के लिए मौजूदा लाइसेंस शुल्क जोन के आधार पर 2 करोड़ रुपये से 40 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। गुड़गांव को करीब 40 जोन में बांटा गया है। आबकारी से राजस्व राज्य के अपने कर राजस्व का 7.18% बनता है। पिछले साल सरकार ने अधिकांश भारतीय-निर्मित विदेशी शराब ब्रांडों के लिए उत्पाद शुल्क में वृद्धि नहीं की थी। 

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