सदन में वाटर सेस लगाने का विधेयक पेश, आपदा प्रबंधन पर हुई चर्चा
हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र के पहले दिन विधायक निधि रोके जाने पर हंगामा और विपक्ष के वॉकआउट के लावा सदन में वाटर सेस लगाने का विधेयक पेश किया गया और आपदा प्रबंधन पर चर्चा की गई।
हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र के पहले दिन विधायक निधि रोके जाने पर हंगामा और विपक्ष के वॉकआउट के लावा सदन में वाटर सेस लगाने का विधेयक पेश किया गया और आपदा प्रबंधन पर चर्चा की गई।
जल शक्ति मंत्री और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने के विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा राज्य में जो नदियाँ और जो उनकी साहायक नदियाँ बहती है उनसे राज्य सरकार को आय हो सकती है। हिमाचल प्रदेश पर पहुत कर्ज है और टेक्स की आमदनी कम है, अन्य कई राज्यों में भी बिजली उत्पादन पर कर लगाए गए हैं। इससे आम जनता पर कोइ बोझ नहीं पडेगा और राज्य को चार हजार करोड़ की आमदनी होगी।
इस विधेयक पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के विधेयकों का अध्ययन करने के बाद यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक के लागू होने के बाद 172 विद्दयुत परियोजनाओं से वाटर सेस वसूला जाएगा।
सदन में आपदाओं के प्रबंधन को लेकर नियम 130 के तहत चर्चा...
सदन में आपदाओं के प्रबंधन को लेकर चर्चा केदौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एकीकृत कार्ययोजना पर काम कर रही है और जल्द ही वनों को आग,बाढ़ तथा भूस्खलन से बचाने के लिए नई नीति लाई जायेगी। मुख्यमंत्री मंगलवार को विधानसभा में नियम 130 के तहत विधायक इंद्रदत्त लखनपाल द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन और इससे जुड़े मामलों के आकस्मिक उपचार के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चीड़ के जंगलों में चीड़ की पत्तियां आग का मुख्य कारण हैं। इन पत्तियों को एकत्रित करने और वन भूमि से हटाने के लिए सरकार ने एक नई नीति बनाई है। इसके तहत पाइन नीडल आधारित उद्योग लगाने के लिए पूंजी निवेश पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत ईंधन के ब्रिकेट्स बनाने की पांच इकाइयां अब तक स्थापित की जा चुकी हैं।