ताकि हिमाचल में न हो जोशीमठ जैसी आपदा, सीएम सुक्खू ने उठाए ये कदम
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और जोशीमठ जैसे संकटों से बचने के लिए लिए सुख्खू सरकार तैयारी कर रही है। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने राज्य के सड़कों के पास भूस्खलन के प्रति बेहद संवेदनशील 203 जगहों की पहचान की है।

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और जोशीमठ जैसे संकटों से बचने के लिए लिए सुख्खू सरकार तैयारी कर रही है। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने राज्य के सड़कों के पास भूस्खलन के प्रति बेहद संवेदनशील 203 जगहों की पहचान की है। हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने अपने रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के 17,120 संवेदनशील जगहों के बारे में बताया है। राज्य सरकार ने किन्नौर जिले को भूस्खलन की रोकथाम के नजरिये से से पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर चयनित किया गया है।
हाल ही में हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के तरफ से वन संपदा को आग, बाढ़ व भूस्खलन से बचाने के लिए चर्चा का प्रस्ताव रखा गया था जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस नीति के बारे में बात कही थी। सीएम ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में आपदा जोखिम को कम करने और जलवायु परिवर्तन गतिविधियों के लिए फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी सैद्धांतिक रूप से 800 करोड़ का ऋण प्रदान करने सहमत हो गया है।
हिमाचल में विकसित सेंसर आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को आईआईटी मंडी द्वारा भूस्खलन वाले राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर लगाया गया है। बता दें कि साल 2019 में जंगलों को आग से बचाने के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण की सैटेलाइट पर आधारित अलर्ट एसएमएस सेवा के जरिए हिमाचल के 24000 से अधिक नागरिकों को जोड़ कर एक रैपिड फौरेस्ट फायर फोर्स का गठन किया था जो मौजूदा समय में 50 हजार से अधिक हो चुका है।
वन में आग लगने के प्रमुख कारणों में चीड़ के जंगल हैं और इस आपदा से बचने के लिए इनकी पत्तियों को इकट्ठा करके और इन्हें हटाने के लिए एक नीति बनाई है। इस नीति के तहत पाईन की इंडस्ट्री बनाने के लिए पूजीं निवेश पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी है या फिर अधिकतम 25 लाख रुपये का प्रविधान दिया गया है।