कोयले की कमी की बात केंद्र सरकार ने स्वीकारी, इन राज्यों में बढ़ सकता है बिजली संकट
भीषण गर्मी के बीच देशभर में बिजली संकट और गहराने के कगार पर है। यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब समेत दस राज्यों में कोयले की भारी किल्लत हो गई है। इस बीच, बिजली की बढ़़ती मांग और कोयले की कमी के कारण कटौती बढ़ गई है। महाराष्ट्र में कई साल बाद अनिवार्य बिजली कटौती की स्थिति बन गई है। अब केंद्र सरकार ने भी कोयले की कमी की बात को स्वीकार किया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यूपी, पंजाब में कोयले की कमी नहीं हुई है, बल्कि तीन राज्यों आंध्र, राजस्थान, तमिलनाडु में जरूर कोयले की कमी देखने को मिल रही है। वहीं, इस मामले में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने एक हाई लेवल बैठक भी की है। ऊर्जा मंत्री ने कहा, 'घबराने की जरूरत नहीं है, हम बिजली की मांग पूरी करेंगे।' संघीय दिशानिर्देश अनुशंसा करते हैं कि बिजली संयंत्रों में औसतन कम से कम 24 दिनों का स्टॉक हो। ऊर्जा मंत्री ने अपने बयान में कहा, देश में कोयले की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है. उन्होंने कहा, कुल डिमांड करीब 9% बढ़ी है। इस बार डिमांड जितनी तेजी से बढ़ी, उतना पहले कभी नहीं बढ़ी. देश में कोयले का रिजर्व कम हुआ है। आज से देश का कोयला रिजर्व 9 दिन का बचा है, पहले यह 14-15 दिन का रहता था। ये बात सच है कि डिमांड बढ़ी है, लेकिन सप्लाई इतनी तेजी से नहीं बढ़ सकती है। एक तरफ जहां तीन राज्यों में बिजली की कमी की खबरे आ रही है वहीं दूसरी तरफ कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को बताया कि देश का कोयला उत्पादन बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत से बढ़कर 77.72 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उनका यह बयान कोयले की कमी की खबरों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। खबरों में कहा गया है कि गर्मियों में बिजली की बढ़ती मांग की वजह से कोयले की कमी का संकट पैदा हो गया है। जोशी ने एक बयान में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में देश के कोयला क्षेत्र ने रिकॉर्ड 77.72 करोड़ टन का उत्पादन हासिल किया। इससे पिछले वित्त वर्ष में कोयला उत्पादन 71.6 करोड़ टन रहा था।