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यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह को शर्तों के साथ मिली जमानत, विदेश जाने के लिए लेनी होगी इजाजत

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण को बड़ी राहत मिली है।

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Rahul Rana -- July 20th 2023 05:43 PM
यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह को शर्तों के साथ मिली जमानत, विदेश जाने के लिए लेनी होगी इजाजत

यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह को शर्तों के साथ मिली जमानत, विदेश जाने के लिए लेनी होगी इजाजत

ब्यूरो : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भूषण को नियमित जमानत दे दी। एक और बड़ी सफलता में, फेडरेशन के सहायक सचिव विनोद को भी इसी मामले में राहत मिली है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12:30 बजे जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू की। इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह और एक अन्य आरोपी विनोद तोमर को दो दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी। इससे पहले सुनवाई की अगली तारीख तक उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी। अदालत ने दोनों आरोपियों को 25,000 रुपये के जमानत बांड पर अंतरिम जमानत दे दी।


दिल्ली पुलिस ने 15 जून को बृज भूषण शरण सिंह और विनोद तोमर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। यह मामला महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज किया गया था। विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव के अनुसार आरोप पत्र आईपीसी की धारा 354, 354डी, 345ए और 506 (1) के तहत दायर किया गया था।

पहलवानों की शिकायत के आधार पर बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गईं। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और एक नाबालिग पहलवान के लिए रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की गई है। दूसरी एफआईआर कई पहलवानों की शिकायत पर दर्ज की गई थी। 

दिल्ली पुलिस ने 15 जून को एक रिपोर्ट दायर की जिसमें भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ POCSO मामले को रद्द करने की सिफारिश की गई। यह उस नाबालिग के बाद आया है, जिसने डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और उसने अपना बयान बदल दिया था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि मामले में कोई सहयोगी सबूत नहीं था।

दिल्ली पुलिस ने कहा, POCSO मामले में, जांच पूरी होने के बाद, हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक पुलिस रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और खुद पीड़िता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।


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