साथियों को बचाते बचाते खुद शहीद हो गए सूबेदार शमशेर सिंह, 1 जनवरी को मिला था प्रमोशन
रेवाड़ी: हरियाणा में रेवाड़ी जिले के रहने वाले सूबेदार मेजर शमशेर सिंह चौहान लद्दाख के तागसे में बंकर में हुए ब्लास्ट के कारण शहीद हो गए थे। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव रतन्थल पहुंचा। पैतृक गांव में उनके सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
शहीद सूबेदार मेजर शमशेर सिंह की दो बेटियां और एक बेटा है जिन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है और वह भी अपने पिताजी जैसे बहादुर बनकर देश की सेवा करने का जज्बा रखते हैं। शहीद की बहन ने कहा कि आज मुझे दुख नहीं बल्कि अपनी भाई की शहादत पर गर्व महसूस हो रहा है और मेरा बेटा भी अपने मामा की तरह सेना में जाकर देश की सरहदों की रक्षा करेगा।
जानकारी के अनुसार जिला के गांव रतनथल के सूबेदार मेजर शमशेर सिंह चौहान यूनिट 22 मेक लेह-लद्दाख के तागसे में पोस्टेड थे और 2 जनवरी की रात को माइनस डिग्री तापमान के दौरान वे अपने बंकर में साथियों के साथ मौजूद थे। इसी दौरान निकटवर्ती बंकर में आग लगने की सूचना पाकर सैनिकों को बचाने के लिए शमशेर व उनके साथी वहां पहुंचे। उन्होंने एक-एक कर सभी जवानों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन इस दौरान बंकर में हुए ब्लास्ट की चपेट में शमशेर आ गए। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां 3 जनवरी को उनकी मौत हो गई।
शमशेर नायब सूबेदार से सूबेदार मेजर इसी नये साल की 1 जनवरी को पदोन्नत हुए थे। वे अपने पीछे माता कमलेश देवी, पिता कै. भवानी सिंह, पत्नी रजनी देवी, 18 वर्षीय पुत्र प्रयाग व दो जुड़वा बेटियां 13 वर्षीय फाल्गुनी व धानिया को छोड़ गए हैं। दुखद बात यह है कि अपने इकलौते होनहार बेटे को खो चुके पिता कै. भवानी सिंह पैरालाइज हैं।
गांव के सरपंच जयभगवान ने कहा कि जैसे ही शमशेर के शहीद होने की खबर गांव पहुंची है, पूरा गांव गम में डूबा हुआ है। सबसे अधिक बुरा हाल वृद्ध माता-पिता का है। उनकी बुढ़ापे की लाठी टूट गई है। उन्होंने कहा कि मौसम खराब होने के कारण पार्थिव शरीर विलंब से पहुंचा। शहीद के अंतिम संस्कार में जन सैलाब उमड़ पड़ा और अपने जांबाज को नम आंखों से विदाई दी। इस दौरान सैन्य अधिकारी जिला प्रशासन व सामाजिक संगठनों के गणमान्य लोग उपस्थित थे।