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400 साल पहले मणिपुर से शुरू हुए थांग ता आर्ट को अंग्रेजों ने कर दिया था बैन, लोगों के जज्बे ने फिर किया जीवित

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- June 07th 2022 05:22 PM -- Updated: June 07th 2022 05:23 PM
400 साल पहले मणिपुर से शुरू हुए थांग ता आर्ट को अंग्रेजों ने कर दिया था बैन, लोगों के जज्बे ने फिर किया जीवित

400 साल पहले मणिपुर से शुरू हुए थांग ता आर्ट को अंग्रेजों ने कर दिया था बैन, लोगों के जज्बे ने फिर किया जीवित

पंचकूला/उमंग: करीब 400 साल पहले मणिपुर में राजा-महाराजाओं ने जिस आर्ट को शुरू किया था, वह आज खेलो इंडिया तक पहुंच गई है। न केवल मणिपुर बल्कि देशभर से आई 22 टीमें इस खेल में हिस्सा ले रही हैं। इस आर्ट का नाम है थांग-ता। थांग का अर्थ है तलवार और ता का अर्थ है भाला। तलवार और भाले के साथ खेली जाने वाली इस आर्ट को अंग्रेजों ने इस डर से बैन कर दिया था कि कहीं इसके दम पर लोग ब्रिटिश हुकूमत का सामना न करने लगें। मणिपुर के स्थानीय लोगों ने अपने प्रयासों से न केवल इस आर्ट को पुनर्जीवित किया है बल्कि खेलो इंडिया तक पहुंचा दिया है। इस आर्ट को खेल का रूप देने वाले थांग-ता फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एच. प्रेम कुमार सिंह का कहना है कि उन्हें लगता था कि जब मार्शल आर्ट विदेशों से आकर एक खेल के रूप में अपनी जगह बना सकता है तो मणिपुर का थांग-ता क्यों नहीं। इस सोच के साथ उन्होंने थांग-ता को खेल के रूप में लाने की ठानी। सबसे पहली चुनौती इसके नियम थे। इसके बाद तलवार और भाले की जगह इसे किसके साथ करवाया जाए। ऐसे में एच.प्रेम कुमार ने तलवार की जगह स्टिक को दी और एक ढाल को इस्तेमाल किया। स्टिक को तलवार की तरह बनाया गया। धीरे-धीरे उन्होंने मणिपुर में थांग-ता के आयोजन शुरू किए। हर जिले में करवाई थांग-ता की प्रतियोगिताएं ज्यादा से ज्यादा किया प्रचार एच.प्रेम कुमार बताते हैं कि थांग-ता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई गई। वे अपनी टीम के साथ देशभर में घूमे और इस खेल से जुड़े नियम व खेल के संबंध में प्रचार किया। 1990 में इंफाल में नोर्थ इस्ट के राज्यों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके बाद 1993 में नेशनल चैंपियनशिप आयोजित की गई। फिर हर साल अलग-अलग जगह आयोजन किए गए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करवाई। इसके अतिरिक्त, देश के बाहर भी गए और विदेशों में भी खेल का प्रचार किया। 2011 में पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप आयोजित की गई, इसमें 6 देशों ने हिस्सा लिया। 2020 खेलो इंडिया में दी थी प्रेजेंटेशन, भारत सरकार ने दी अनुमति थांग-ता को खेलो इंडिया में शामिल करने के लिए थांग-ता फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 2020 में गुवाहटी में आयोजित हुई खेलो इंडिया प्रतियोगिता में प्रेजेंटेशन दी थी। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें इस खेल को खेलो इंडिया में शामिल करने की अनुमति दी। इस बार के खेलो इंडिया में थांग-ता खेलने के लिए 22 टीमें और 140 खिलाड़ी पहुंचे हुए हैं। हरियाणा ने थांग-ता में जीते 4 मेडल हरियाणा ने भी थांग-ता में चार मेडल जीते हैं। अंडर-18 पुरुष प्रतिस्पर्धा में एक कांस्य और 1 रजत पदक जीता है। इसी तरह अंडर-18 महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में दो रजत पदक हरियाणा ने अपने नाम किए हैं।


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