गुरु तेग बहादुर के बचपन का नाम था त्यागमल, कश्मीरी पंडितों के धर्मांतरण का किया था विरोध
आज गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व देशभर में मनाया जा रहा है। आज सिख समाज के साथ दूसरे धर्म के लोग भी उनकी शिक्षाओं, कुर्बानी को याद कर रहा है। गुरु तेग बहादुर ने ना सिर्फ सिख धर्म बल्कि दूसरे धर्मों की रक्षा के लिए भी आवाज और हथियार दोनों उठाए। सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर ने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण की आहूति दे दी थी। सिख धर्म में उनके बलिदान को बड़ी ही श्रद्धा से याद किया जाता है। गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर की इस जयंती पर उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं। बचपन में त्यागमल था नाम- गुरु तेग बहादुर सिंह का बचपन का नाम त्यागमल बताया जाता है। उन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ के मिलकर मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी। 24 नवंबर 1675 को भीड़ के सामने उनकी हत्या कर दी गई। उनके पिता ने उन्हें त्यागमल नाम दिया था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए। तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी। मुगल शासन के समय में जब हिंदुओं का उत्पीड़न किया गया और मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया, तब उस समय उन्होंने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया। 1675 में औरंगजेब ने क्रूरता दिखाते हुए तेग बहादुर से इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि वे शीश कटा सकते हैं, लेकिन केश नहीं। इसके बाद उनका सिर कटवा दिया गया। यहां दिल्ली में आज शीश गंज गुरुद्वारा है।इसी स्थान पर उनकी शहादत हुई और उनकी अंतिम विदाई भी यहीं से हुई थी।