International Women Day: हौंसलों की मिसाल डॉ. तनुजा, आंखों की रोशनी गई....सात सर्जरी के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
International Women Day2022: डा. तनुजा एक कवियित्री, लेखिका, समाजसेविका व मोटिवेशनल स्पीकर हैं और उत्तर भारत के एक प्रतिष्ठित समाचारपत्र में बतौर वरिष्ठ सम्पादिका सेवाएं दे रही हैं। डा. तनुजा बचपन से पोलियो जैसी नामुराद बीमारी से पीड़ित हैं। अब तक उनकी बॉडी की 7 बड़ी सर्जरी हो चुकी हैं।
2006 में उनकी दोनों आंखों की रोशनी तक चल गई, लेकिन उन्होंने जिंदगी से जंग जारी रखी और मुस्कुराते हुए हर मुश्किल का जिंदादिली से सामना किया। तनुजा ने एंकाकी जीवन जीते हुए विकलांगता व जीवन संघर्ष के बीच कभी हिम्मत नहीं हारी और स्नातक के बाद नौकरी के साथ-साथ पहले राजनीति शास्त्र में एमए और फिर जनसंचार में मास्टर डिग्री हासिल की । इस दौरान पति के अत्याचारों से तंग आकर उससे अलग होकर उन्होंने अकेले अपनी
बेटी का पालन-पोषण व शिक्षा का दायित्व भी बाखूबी निभाया व उसे जीवन के अलग मुकाम पर पहुंचाया।
यही नहीं उन्होंने न सिर्फ अपनी विकलांगता से लड़ते हुए कठिन से कठिन व विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाई बल्कि अपने जीवन संघर्ष में लगातार आगे बढ़ते हुए लेखन व समाजसेवा में कार्य करते हुए समाज में एक अलग मुकाम हासिल किया।
देश-विदेश की कई नामवर समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ी डा. तनुजा अपनी सेवाओं व कार्यों के लिए कई देश-विदेश से अवार्ड व सम्मान हासिल कर चुकी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में मानद डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित डा. तनुजा ने जीवन की हर कठिनाई का सामना करते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ समाज में एक नई मिसाल कायम की है। साहित्य प्रेमी व कविता लिखने की शौकीन तनुजा का काव्य संग्रह "मुझ में कोई औऱ" प्रकाशित हो चुका है जबकि अगला काव्य संग्रह व उपन्यास प्रकाशनाधीन है।
मुंबई की अमर सिने प्रोडक्शन के सहयोग से IAWA द्वारा घोषित SDP वुमेन अचीवर्स अवार्ड हासिल करने वालों में दुनिया भर की सम्मानित लगभग 50 से अधिक महिलाओं में पंजाब की डा.तनुजा तनु भी शामिल हैं। IAWA ने सम्मान पाने वाली इन हस्तियों का रिकार्ड उनके परिचय व लाइफ स्टोरी के साथ एक यादागार कॉफी टेबल बुक (Coffee Table Book) में दर्ज किया है। इस बुक में शामिल दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाने वाली हस्तियों में जालंधर की डा. तनुजा तनु को भी स्थान दिया गया है।
डॉक्टर तनुजा की कविता
1 "याद रखना
जब भी जितनी बार मुझे गिराओगे
याद रखना मेरे हौंसले बढ़ाओगे,
बुलंदियों तक मुझे पहुंचाओगे
कड़वी बातों से रूठना, टूटना पुरानी बात हुई
उछालोगे पत्थर तो सामने पहाड़ पाओगे
मेरी आहों और आंसुओं से जरा बचकर रहना
टूटा जे सब्र का दरिया तो डूब जाओगे
मत समझना कि चुप है, तो शायद बुजदिल है
खुलेंगे राज तो शर्म के मारे ही मर जाओगे...
जब भी जितनी बार मुझे गिराओगे
याद रखना मेरे हौंसले बढ़ाओगे... डा.तनुजा तनु"
2. सच भी जान लो ज़रा
लोग कहते हैं बहुत मजबूत हूं मैं किसी चट्टान की तरह
दिलदारी रखती हूं शहनशाह-ए आलम की पहचान की तरह
कुछ ख़ूबसूरत लगती हूं अप्सराओं कामिनी, मोहिनी जैसी
लबों पर रखती हूं मुस्कराहट खुशनसीबों वाली
बनाए रखती हूं हौंसले किसी वीरवान की तरह
ये तो तस्वीर का एक ही रुख है जो दुनिया ने देखा है
ज़रा आकर झांको तो सही मेरे भीतर तक यारो
नज़र आएगा दर्द का समंदर किसी तूफ़ान की तरह
ज़ख्म दिल पर ही नहीं रूह पर भी हरे रखे हैं
सूखे आंसुओं संग रिस्ते रहते हैं जो नासूर-ए-दान की तरह
बड़ा मनमोहक सा दिखता हैं मेरी आंखों का घरोंदा
करोगे सैर तो मिलेगा जंगल-बियाबान की तरह
टूटी हूं कई बार, बिखरी हूं रेत के टीलों जैसे
जुटाई हिम्मत, समेटे हौंसले फिर खुद को संभाला ऐसे
बना ली शख्सीयत किसी "आलीशान मकान" की तरह
बुलन्द इरादे बेशक बन गए पहचान मेरी
लेकिन दिल का एक कोना अब भी वीराना है किसी श्मशान की तरह
लोग शायद सच कहते हैं
बहुत मजबूत हूं मैं किसी चट्टान की तरह !!!... डा. तनुजा तनु