नई दिल्ली। कोरोना वायरस विश्वभर में बड़ी तेजी से फैल रहा है। इसके लिए अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। दुनियाभर में कई वैक्सीन पर काम चल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि वैक्सीन आने में कितना वक्त लग सकता है? कोरोना के विशेषज्ञ डॉ. रमन आर गंगाखेडकर (आईसीएमआर) बताते हैं कि कोविड के पहले तक वैक्सीन के ट्रायल में 7-10 साल तक लगते थे। चूंकि कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है इसलिए संक्रमण को कम करने के लिए अलग-अलग तरह के वैक्सीन के ट्रायल हो रहे हैं। भारत में भी बनने में करीब डेढ़ से दो साल का समय लेगा।
"अभी जो भारत की वैक्सीन है, उसका फेज वन का ट्रायल 15 अगस्त तक पूरा हो जाएगा। उसमें पता चल जाएगा कि वैक्सीन से एंटीबॉडी बन रहे हैं या नहीं और सेफ है या नहीं। उसके बाद दूसरे स्टेज का ट्रायल होगा। शायद कंपनी ने सोचा है कि अगर ये वैक्सीन काम करेगी तो इसका प्रोडक्शन शुरू कर देंगे ताकि पूरे ट्रायल के बाद अगर सफल हुई तो भारत में इतनी बड़ी आबादी तक जल्द से जल्द पहुंच जाए। अगर यह कारगर नहीं हुई तो पैसे का नुकसान भी हो सकता है।"
हालांकि देश में कोविड-19 से ठीक होने वाले मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अलग-अलग दवाओं का प्रयोग कर कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। आज कोविड-19 के सक्रिय मामलों की तुलना में ठीक हुए लोगों की संख्या 1,58,793 ज्यादा हो गई। इसके परिणामस्वरूप ठीक होने (रिकवरी) की दर बढ़कर 60.81 प्रतिशत हो गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान, कोविड-19 के कुल 14,335 रोगी ठीक हुए है, जिससे स्वस्थ हुए लोगों का आंकड़ा बढ़कर 3,94,226 हो गया है।
वर्तमान में, सक्रिय मामलों की संख्या 2,35,433 है और सभी मामले चिकित्सीय देख-रेख में हैं। कोविड-19 की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है, भारत में अब प्रयोगशालाओं की कुल संख्या बढ़कर 1,087 हो गई हैं, इसमें सरकारी क्षेत्र में 780 और निजी क्षेत्र में 307 प्रयोगशालाएं हैं। पिछले 24 घंटों में 2,42,383 नमूनों की जांच की गई है, जिससे जांचे गए नमूनों की कुल संख्या बढ़कर 95,40,132 हो गई है।
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