पाकिस्तानी गोलीबारी में घायल हो गए थे विपिन रावत, लोगों ने कहा था खत्म हो गया करियर
नेशनल डेस्क: देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) का तमिलनाडु में 08 दिसंबर 2021 को हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे में निधन हो गया। इस हादसे में उनकी पत्नी समेत 13 जवानों की भी मौत हो गई। सैन्य जीवन में उन्होंने कई विपरित परिस्थितियों का सामना किया। एक समय ऐसा भी आया जब लोग उनसे कहने लगे थे कि उनका सैन्य करियर खत्म हो जाएगा। उस समय एक युवा सैन्य अधिकारी होते हुए उन्होंने हार नहीं मानी। और आर्मी चीफ से लेकर देश के पहले सीएडएस तक बने। [caption id="attachment_556627" align="alignnone" width="300"] सीडीएस बिपिन रावत (फाइल फोटो)[/caption] बिपिन रावत ने सेना में रहते कई कठिन परिस्थितियां का सामना किया। एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि 1993 को वे सेना यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स के मेजर थे और 17 मई को उरी (कश्मीर) में गश्त के दौरान पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलीबारी की जद में आ गए थे। बिपिन रावत के पैर के टखने पर एक गोली लगी थी और दाहिने हाथ पर छर्रे का एक टुकड़ा लगा था। किस्मत से उस वक्त उन्होंने कैनवस एंकलेट पहन रखा था, जिसकी वजह से गोली के तेज रफ्तार को तो झेल लिया था, लेकिन फिर भी उनका टखना चकनाचूर हो गया था। जिसके बाद उन्हें श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने विपिन रावत का इलाज किया। [caption id="attachment_556628" align="alignnone" width="300"] सीडीएस विपिन रावत (फाइल फोटो)[/caption] बिपिन रावत ने बताया था कि गोली लगने के बाद सेना में एक युवा अधिकारी के रूप में उन्हें इस बात की टेंशन होती थी कि कहीं उन्हें महू (मध्य प्रदेश) में अपन में अपने हायर कमान कोर्स में शामिल होने से वंचित न रहना पड़े। हायर कमान कोर्स (सेना में पदोन्नति के लिए आवश्यक) के इसे पास करना जरूरी था। उस दौरान लोगों ने बिपिन रावत से कहा था कि सेना में अब उनका करियर खत्म हो चुका है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक महीने बीमारी की छुट्टी ली। [caption id="attachment_556629" align="alignnone" width="300"] सीडीएस विपिन रावत (फाइल फोटो)[/caption] फिर धीरे-धीरे बैसाखी के सहारे चलना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में वापस तैनात किया गया। उरी में यूनिट के सीओ (कमांडिंग ऑफिसर) ने कहा था कि मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच की सहमति हो तो वे बिपिन रावत को वापस यूनिट में रखने को तैयार हैं। इससे साफ पता चलता है कि विपिन रावत का हौसला अटूट था। मुश्किल परिस्थितियों में उन्होंने हार नहीं मानी।