25 जनवरी 1971 को भारी बर्फबारी के बीच हिमाचल बना था पूर्ण राज्य,जानें इतिहास
शिमला: पराक्रम चन्द : 25 जनवरी को पहाड़ी प्रदेश हिमाचल एक बार फ़िर पूर्ण राज्यत्व दिवस मना रहा है। 15 अप्रैल 1948 को 30 छोटी- बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का मुख्य आयुक्त के प्रांत के रूप में गठन हुआ था। उसके बाद 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश को 18वें गणराज्य का दर्जा मिला था। विकास के नाम पर छलनी हो रहे पहाड़, कर्ज के बोझ तले दबा पहाड़ी प्रदेश कहां जायेगा ये कह पाना मुश्किल है, लेकिन जो वक़्त गुजरा खट्टे मिठे अनुभवों वाला रहा है।
70 लाख से ज़्यादा की आबादी वाले इस प्रदेश की कहानी उतनी ही प्राचीन है जितनी मानव सभ्यता का इतिहास। लेकिन हिमाचल के जन्म की कहानी 1945 से शुरू होती है। जब तक प्रदेश में प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था। 1946 में सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी में शामिल कर लिया ऒर मुख्यालय मंडी में स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। एचएचएसआरसी के नाहन में 1946 ई. में चुनाव हुए, जिसमें यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष चुना गया।
जनवरी, 1947 ई. में राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. में इसका सम्मेलन सोलन में हुआ। 15 अप्रैल 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि॰मी॰ में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
सन 1950 में प्रदेश के पुनर्गठन के अंतर्गत प्रदेश की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया। कोटखाई को उपतहसील का दर्जा देकर खनेटी, दरकोटी, कुमारसैन उपतहसील के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र कोटखाई में शामिल किए गए। कोटगढ़ को कुमारसैन उपतहसील में मिला गया। उत्तर प्रदेश के दो गांव संसोग और भटाड़ जुब्बल तहसील में शामिल कर दिए गए। पंजाब के नालागढ़ से सात गांव लेकर सोलन तहसील में शामिल किए गए। इसके बदले में शिमला के नजदीक कुसुम्पटी, भराड़ी, संजौली, वाक्ना, भारी, काटो, रामपुर के साथ ही पेप्सी (पंजाब) के छबरोट क्षेत्र कुसुम्पटी तहसील में शामिल कर दिया गया।
एक जुलाई, 1954 ई. को कहलूर रियासत को प्रदेश में शामिल करके इसे बिलासपुर का नाम दिया गया। एक मई, 1960 को छठे जिला के रूप में किन्नौर का निर्माण किया गया। वर्ष 1966 में पंजाब का पुनर्गठन किया गया तथा पंजाब व हरियाणा दो राज्य बना दिए गए। भाषा और तिहाड़ी क्षेत्र के पंजाब से लेकर हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिए गए। संजौली, भराड़ी, कुसुमपटी आदि क्षेत्र जो पहले पंजाब में थे तथा नालागढ़ आदि जो पंजाब में थे, उन्हें पुनः हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया।
सन 1966 में इसमें पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि॰मी॰ हो गया। प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा 25 जनवरी 1971 को मिला। 1 नवम्बर 1972 को कांगड़ा ज़िले के तीन ज़िले कांगड़ा, ऊना तथा हमीरपुर बनाए गए। महासू ज़िला के क्षेत्रों में से सोलन ज़िला बनाया गया। आज का हिमाचल 12 जिलों प्रदेश है जिसकी जनसंख्या 70 लाख से ज़्यादा है। 25 जनवरी, 1971 को भारी बर्फबारी के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने रिज मैदान से हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की थी।
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