छलावा है बीजेपी में परिवारवाद का पैमाना, ब्राह्मण होने की वजह से नहीं मिला टिकट: मयंक जोशी
बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी ने समाजवादी पार्टी का दामन थामने के बाद आजतक से बातचीत में कहा कि बीजेपी में परिवारवाद का पैमाना छलावा है। मैं आज तक पता कर रहा हूं कि बीजेपी ने परिवारवाद का क्या मानक तय किया है? आखिर किस आधार पर राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को टिकट दे दिया जाता है। फागू चौहान के बेटे को टिकट मिल सकता है लेकिन रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को नहीं मिल सकता। इनका परिवारवाद का मानक इन नेताओं पर क्यों नहीं लागू होता? खुद को टिकट न मिलने के पीछे का कारण उन्होंने बताया कि वह ब्राह्मण हैं। बीजेपी में ब्राह्मणों की क्रद नहीं है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि यदि परिवारवाद की वजह से मुझे टिकट नहीं दिया गया तो यह भी साफ होना चाहिए कि अन्य नेताओं के बेटों को टिकट क्यों मिला? "मैंने 13 साल इस पार्टी (बीजेपी) में लगाए हैं, लेकिन पार्टी ने कुछ नहीं दिया। अच्छा हुआ पार्टी ने नहीं दिया, अब मैं संतुष्ट हूं और मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी में युवाओं का भविष्य है और वह पार्टी सबसे प्रोग्रेसिव पार्टी है, इसलिए मैं समाजवादी पार्टी में आकर खुश हूं।" मयंक जोशी ने यह भी कहा कि उन्हें सपा में जिम्मेदारी को लेकर कोई लालसा नहीं है। वह कार्यकर्ता बनकर आए हैं और वही रहेंगे। उन्हें लीडर बनने का कोई शौक नहीं है। जनता खुद देख रही है कि लक्ष्मीकांत बाजपेई कहां हैं, बाकी लीडर जिन्होंने पार्टी के लिए तन, मन से काम किया वह कहां है। कई और ब्राह्मणों ने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा लेकिन उन्हें नहीं मिला। उन्होंने इस दौरान कई अन्य चीजों को लेकर भी भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा, "मेरी मां ने लगभग अब राजनीति से संन्यास ले ही लिया है क्योंकि वह 73 साल की हो चुकी हैं। वह कह भी चुकी हैं कि अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी।।।किताबे लिखेंगी, संस्मरण लिखेंगी। हालांकि वह बीजेपी में हैं। ऐसा हो सकता है कि एक ही परिवार के लोग अलग-अलग पार्टी में हों।" बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण से ठीक पहले बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक ने बीजेपी को झटका दिया है। रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी (Mayank Joshi) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) जॉइन कर ली है। आजमगढ़ में अखिलेश यादव ने एक चुनावी जनसभा में मयंक जोशी का सपा में स्वागत किया। उन्होंने मंच पर मयंक का हाथ पकड़कर उठाया और कहा मैं इनका स्वागत करता हूं, इनके आने से पार्टी के नेताओं का मनोबल बढ़ेगा। दरअसल 2019 के चुनाव में ही जब बीजेपी ने रीता बहुगुणा जोशी को प्रयागराज से लोकसभा का टिकट दिया और रीता बहुगुणा जोशी सांसद बनी तभी उन्होंने आगे चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। रीता बहुगुणा जोशी के इस बयान से ही माना जाने लगा कि बहुगुणा परिवार से यूपी में राजनीति का अगला चेहरा मयंक जोशी होंगे और मयंक जोशी 2022 के चुनाव में लखनऊ की कैंट सीट से चुनाव लड़ेंगे। रीता बहुगुणा जोशी 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कैंट विधानसभा से जीती थीं, बाद में 2019 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता। सांसद बनने के बाद लखनऊ कैंट सीट खाली हो गई और बीजेपी के सुरेश तिवारी विधायक बने। इस बार बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट सीट से अपने बेटे मयंक के लिए पार्टी से टिकट मांग रही थीं। इसके लिए उन्होंने पार्टी आलाकमान को चिट्ठी भी लिखी थी। उन्होंने लिखा था कि मयंक कई सालों से पार्टी के लिए विधानसभा क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं। टिकट के सही मायने में वह हकदार हैं। अगर जरूरत पड़ती है तो वह अपने सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन बीजेपी ने मयंक की जगह योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक को इस सीट से मैदान में उतार दिया। टिकट कटने के बाद से ही मयंक जोशी के सपा में जाने की चर्चाएं तेज हो गई थीं। 22 फरवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात हुई और शनिवार को आजमगढ़ में अखिलेश यादव की जनसभा में मयंक जोशी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।