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जर्मनी में छोड़ी लाखों की नौकरी, अब पशुपालन-जैविक खेती के जरिए देशभर में कमाया नाम

Written by  Vinod Kumar -- July 03rd 2022 05:35 PM
जर्मनी में छोड़ी लाखों की नौकरी, अब पशुपालन-जैविक खेती के जरिए देशभर में कमाया नाम

जर्मनी में छोड़ी लाखों की नौकरी, अब पशुपालन-जैविक खेती के जरिए देशभर में कमाया नाम

फरीदाबाद/सुधीर शर्मा: जर्मनी में प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी छोड़कर गौवंश के साथ पशुपालन और जैविक खेती शुरू करने वाली मिलन शर्मा आज 150 गोवंश की देखभाल कर रही है । इसके साथ वह 15 एकड़ में जैविक खेती भी कर रही है। और गोबर से कई उत्पाद भी निर्मित कर रही हैं। इस काम में उनके साथ 20-25 लोगों का परिवार भी यहां रहते हुए काम कर रहा है। कृषि और गो पालन को लेकर उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं । उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार इस क्षेत्र में बहुत सहयोग कर रही है । फरीदाबाद: पशु प्रेमी और सफल किसान मिलन शर्मा अब फरीदाबाद के सेक्टर-21बी में रहती हैं। सालों तक जर्मनी में प्रोजेक्ट मैनेजेर की नौकरी करने के बाद मिलन शर्मा वापस स्वदेश लौटी। स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने पशुपालन और किसानी को चुना। अपनी मेहनत के बल पर आज उनका एक अलग ही नाम है। देश के 25 टॉप किसानों में मिलन शर्मा का नाम आता है। मिलन शर्मा के पशुपालक और किसान बनने की सबसे बड़ी वजह उनके स्वर्गीय ससुर नारायण शर्मा का पशुओं के प्रति प्रेम था। उनके ससुर नारायण शर्मा को पशुओं से बेहद प्रेम था और जब वह जर्मनी से वापस आए तो अपने ससुर की याद में साल 2018 में वह एक गाय लेकर आईं। इसके बाद धीरे-धीरे गाय की संख्या बढ़नें लगी, जिसके बाद उनके पास गायों की देखभाल करने और नौकरी करने में से किसी एक विकल्प को चुनना था। अंत में उन्होंने जर्मन की कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी को छोड़ दिया और पूर्ण रूप से गोवंश की देखभाल करने में जुट गई। मिलन शर्मा पावटा गांव में बने रेनवार डेयरी फार्म पर 150 गोवंश की देखभाल कर रही हैं। अपने डेयरी फार्म का नाम मिलन शर्मा ने अपने सास रेवतीऔर ससुर नारायण शर्मा के नाम को जोड़कर रखा है। यहां से फरीदाबाद दिल्ली और गाजियाबाद में दूध की सप्लाई होती है । मिलन शर्मा के पति एक बिजनेसमैन हैं जो कदम कदम पर मिलन शर्मा का साथ देते हैं। साथ ही मिलन शर्मा के दो बेटे हैं। उनके बड़े बेटे अनिकेत नीदरलैंड में मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जबकि छोटे बेटे ऋषभ एक डॉक्टर हैं। साल 2021 में विश्व दुग्ध दिवस पर मिलन शर्मा को डॉ वी. कुरियन अभिनव डेयरी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यह पशुधन प्रहरी द्वारा डेयरी किसानों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इसके अलावा मिलन शर्मा 15 एकड़ मैं जैविक खेती कर रही है। सबसे खास बात यह है कि 15 एकड़ में बोई जाने वाली फसल में वह किसी भी रसायन खाद का प्रयोग नहीं करती हैं। यहां पर खाद के रूप में गोबर और गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है। गाय के गोबर से कई प्रकार के आइटम जैसे धूपबत्ती, उपले तथा ईंट के अलावा कई प्रकार के आइटम बनाए जाते हैं। मिलन शर्मा ने बताया कि उनके इस सफर में उनके परिवार के लोगों ने उनका बेहद साथ दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करना मुश्किल नहीं है बस जरूरत है कि आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें। जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो उस तक पहुंचने से आपको कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि परेशानियों से हार कर बैठना इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है।


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