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कप्तान नवजोत सिंह सिद्धू ने आज कल फ्रंट फुट पर आकर खेलना शुरू ही किया था की एक्स्ट्रा प्लेयर ने उन्हें टीम से ही बाहर कर दिया! कहाँ तो सिद्धू साहब अपनी लम्बी पारी खेलने की घोषणा करने वाले थे और कहाँ टीम मैनेजमेंट (आलाकमान) ने उन्हें ड्रिंक्स बॉय की तरह बना दिया!
चन्नी साहब से पहले कप्तान अमरिंदर साहब एक लम्बी पारी खेल रहे थे और इस बार की पारी भी संभालने वाले थे, लेकिन निवर्तमान पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष आलाकमान से सेटिंग कर के न सिर्फ कप्तान को कप्तानी से हटवाया बल्कि उन्हें टीम में भी शामिल नहीं किया! मजेदार बात ये की ये सब घटना ऐसे हुई जैसे मुंह में जाते ही चीनी घुल गयी!
135 साल पुरानी पार्टी, कई दिग्गज और एक से बढ़कर एक राजनेता लेकिन हाल फिलहाल की घटनाओं को देखा जाये तो ऐसा कतई नहीं लगता है! पंजाब में कांग्रेस सरकार की वापसी और सभी को साथ लेकर चलना कप्तान बखूबी निभा रहे थे लेकिन दल - बदलू नेताओं के पंजाब में आगमन से कुत्ते को बिस्कुट खिलाने वाले राजनेताओं की अज्ञानता से, अपनी सत्ता की लालच को लेकर आगे बढ़ने वाले गुरु से और पुरानी रंजिशों को दिल में रखने वालों से कप्तान भी अछूते नहीं रहे और घुटने टेक दिए!
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खैर ये बात कप्तान के लिए भी बनती है की जब आप समुद्र में थे तो आप को भी विपरीत दिशा से आने वाली ऊंची-ऊंची लहरों के बारे में सोचना चाहिए था! समुद्र की लहरों में इतनी ताकत होती है की बड़े बड़े जहाजों को डूबा देता है फिर कप्तान तो बस छोटी सी नाव से आगे बढ़ रहे थे!
खैर युवराज और गुरु के पंजाब घटनाक्रम और साहब के गुजरात के बाद राजनेताओं में एक अनजानी और सहमी सी लहर चल पड़ी है! दिल्ली अब सबके लिए दूर से ही सलाम वाली कहावत हो गयी है! मौसम का मिज़ाज भी बदल रहा है और दिल्ली में कुछ दिनों बाद सर्दी की आहट भी आ जाएगी! देखते हैं तब तक ये पंजाब और दिल्ली क्या क्या गुल खिलाएगी?
किसी शायर ने ठीक ही लिखा है
"ज़माने से रूठने की जरूरत ही क्यों हो
जब मेरे अपने ही मेरे बने रकीब हो"
लेखक- अजय कुमार (ये लेखक के अपने विचार हैं) (Illustration by Daljeet Kaur Sandhu/HT)-