चर्चा में राजद्रोह कानून, सरकारों पर लगते रहे हैं दुरुपयोग करने के आरोप
नई दिल्ली। अंग्रेजों के समय में बना राजद्रोह का कानून इन दिनों देश में खूब चर्चा में है। खासकर दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद इस कानून को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। टूलकिट केस में गिरफ्तार दिशा पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। उसकी गिरफ्तारी का अब देशभर में विरोध हो रहा है। [caption id="attachment_475563" align="aligncenter" width="700"] चर्चा में राजद्रोह कानून, सरकारों पर लगते रहे हैं दुरुपयोग करने के आरोप[/caption] बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लिखकर, या बोलकर आय किसी अन्य माध्यम से भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ नफरत, शत्रुता या अवमानना पैदा करेगा तो उशको राजद्रोह का दोषी माना जाएगा। राजद्रोह में 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। यह अपराध गैर जमानती है। [caption id="attachment_475560" align="aligncenter" width="700"] चर्चा में राजद्रोह कानून, सरकारों पर लगते रहे हैं दुरुपयोग करने के आरोप[/caption] एनसीआरबी के डेटा के अनुसार वर्ष 2014 से 21016 के बीच राजद्रोह के तहत 179 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। मगर चौंकाने वाली बात ये है कि आरोप केवल दो पर ही साबित हो पाए। वहीं वर्ष 2019 में राजद्रोह के मामले में 96 गिरफ्तार हुए, जबकि सिर्फ 2 पर ही आरोप तय हुए। वहीं 2020 में लगभग 3 हजार लागों पर सीएए कानून के विरोध में प्रदर्शन करने पर राजद्रोह के तहत मामले दर्ज किए गए थे। अब कृषि कानूनों को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों पर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं यह भी पढ़ें- कृषि मंत्री जेपी दलाल पर बरसे अभय चौटाला, कहा- ऐसे व्यक्ति को सत्ता में बैठने का अधिकार नहीं यह भी पढ़ें- एक ही अपार्टमेंट के 36 लोग कोरोना पॉजिटिव, पार्टी में संक्रमण फैलने की आशंका [caption id="attachment_475561" align="aligncenter" width="700"] चर्चा में राजद्रोह कानून, सरकारों पर लगते रहे हैं दुरुपयोग करने के आरोप[/caption] कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि अंग्रेजो के समय में बने इस कानून को बहुत ही सावधानी से देशद्रोहियों के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहिए। सोशल मीडिया की पोस्ट व राजनीतिक विरोधियों पर इसके दुरुपयोग से बचना चाहिए।