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Russia Ukraine war: यूक्रेनी सेना भारतीय बच्चों को ढाल की तरह कर रही इस्तेमाल, भारत लौटे छात्र ने किया खुलासा

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- March 06th 2022 01:37 PM
Russia Ukraine war: यूक्रेनी सेना भारतीय बच्चों को ढाल की तरह कर रही इस्तेमाल, भारत लौटे छात्र ने किया खुलासा

Russia Ukraine war: यूक्रेनी सेना भारतीय बच्चों को ढाल की तरह कर रही इस्तेमाल, भारत लौटे छात्र ने किया खुलासा

पलवल/गुरुदत्त गर्ग: यूक्रेन से बड़े लंबे संघर्ष और कठिनाइयों के बाद अपने घर पलवल पहुंचे यश भारद्वाज ने बताया कि वह यूक्रेन के ternopil शहर में एमबीबीएस की चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। 12 या 13 फरवरी से युद्ध की संभावनाएं दिखने लगी थी। उन्होंने अपने यूनिवर्सिटी के डीन तथा डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों से भारत लौटने के लिए आग्रह किया लेकिन उन्होंने बार-बार यही कहा कि सब कुछ शांत है, ठीक है, कुछ नहीं होगा और आप पैनिक ना करें। यश ने बताया कि वहां पर दिन प्रतिदिन हालात बदलते और बिगड़ते रहे। उन्होंने डीन और डायरेक्टर्स से ऑफलाइन की बजाय ऑनलाइन क्लासेज के लिए आग्रह करते रहे। क्योंकि उनके पेरेंट्स बता रहे थे कि वहां पर युद्ध के हालात बनते जा रहे हैं। अपने पेरेंट्स के साथ लगातार संपर्क में रहने के बाद उन्होंने भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन यूनिवर्सिटी में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार 24 फरवरी को जब यूक्रेन के कई शहरों पर राजधानी कीव सहित हमला हो गया तब भी उन्होंने केवल बंकरों में जाने की परमिशन दी। यश भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने दूसरे छात्रों के साथ 22 फरवरी को अपनी एयर टिकट बुकिंग करा दी जो उन्हें 28 फरवरी की मिली। वह भी काफी महंगी 61565 रुपये में, लेकिन जब 28 फरवरी तक इंतजार करना सुरक्षित दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने 25 फरवरी को टेरणोपिल शहर स्थित टरनोपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी को छोड़कर निकटवर्ती देश पोलैंड बॉर्डर के रास्ते भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने एक कैब करके पोलेंड बॉर्डर तक जाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें करीब 32 किलोमीटर पूर्व ही कैब से उतर जाना पड़ा, क्योंकि वहां पर यूक्रेनियंस तथा दूसरे अन्य लोगों की कारों का इतना लंबा काफिला था कि जिसे पार करना बड़ा कठिन था और हजारों वाहन जाम में फंसे हुए थे । जिसके कारण उन्होंने कैब से उतरकर पैदल जाना शुरू किया और देर रात तक वह पोलैंड बॉर्डर से पूर्व यूक्रेनियन चैक पोस्ट पहुंचे तो वहां पर हजारों की संख्या में भारतीयों के अलावा अन्य देशों के लोग यूक्रेन को छोड़कर पोलैंड में प्रवेश करना चाहते थे। India abstains from voting on UNSC resolution condemning Russia's attack on Ukraine यहां यूक्रेनियन सेना ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। यश भारद्वाज ने बताया कि यूक्रेनियन सेना की ओर से उनके साथ भेदभाव भी किया जा रहा था । बताया कि वहां पर यूक्रेनियन के साथ-साथ दूसरे अन्य कई देशों के छात्र -छात्राओं को तथा अन्य लोगों को चेक पोस्ट से आगे निकाला जा रहा था, लेकिन भारतीयों को आगे बढ़ने से रोका जा रहा था । भारतीय छात्रों के साथ बदसलूकी और दुर्व्यवहार किया जा रहा था उनके साथ मारपीट और गाली गलौज की जा रही थी। Ukrainian soldiers are using Indian students as shield यश ने बताया कि फिर भी उन्होंने किसी तरह संयम बरतते हुए अपने जीवन की सुरक्षा की खातिर सब कुछ सहन किया। यहां तक की पोलैंड सीमा पर वे लोग 3 दिन तक भूखे प्यासे रहे । उन्हें खाने के लिए दिन भर में मात्र 1 सेब उनके हिस्से में आया। जिसे वह अपने हॉस्टल को छोड़ते समय साथ लेकर आए थे। बताया कि वहां पर चारों तरफ जंगल था और माइनस 6 डिग्री तक टेंपरेचर में उन्हें अपनी जान बचाने के लिए पर्याप्त कपड़े भी नहीं थे। ऐसे में उन्हें लगने लगा था कि जीवन बचना मुश्किल है। फिर उन्होंने वहां पेड़ों की लकड़ियों को जला कर अपने आप को बचाया, जबकि कई बच्चे वहां बीमार हो रहे थे। उनका बीपी लो हो रहा था, कमजोरी के कारण चक्कर खाकर गिर रहे थे। जैसे तैसे करके एक चेक पोस्ट पार करने के बाद दूसरा चेक पोस्ट उन्होंने पार किया, लेकिन तीसरे चेक पोस्ट पर जहां मोहर लगनी थी वहां पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा ।आखिरकार तीसरे चेक पोस्ट को भी पार करके वह पोलैंड की सीमा में प्रवेश कर लिया, जहां पर उनके लिए भारतीय दूतावास की तरफ से खाने-पीने की व्यवस्था की हुई थी। वहां जाकर उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। Ukrainian soldiers are using Indian students as shield पौलेंड बॉर्डर पर उसके पास उनकी दोस्त मानसी मंगला के परिजनों का भारत के बल्लभगढ़ से फोन गया कि उनका मानसी का नंबर नहीं मिल रहा है । जिस पर उन्होंने प्रयास किया और मानसी से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन बात नहीं हो पाई आखिर मानसी की लाइव लोकेशन के सहारे जानकारी मिली कि वह उस स्थान से लगभग 90 किलोमीटर दूर थी जहां पर वह पहुंच चुके थे। ऐसे में उन्होंने अपने पेरेंट्स से बातचीत कर फैसला लिया कि मानसी मंगला की मदद के लिए जाना चाहिए ।क्योंकि मानसी उनके ग्रुप में शामिल थी, जहां पोलेंड बॉर्डर से पूर्व यूक्रेन में बेहोश हो गई थी। Ukrainian soldiers are using Indian students as shield बेहोशी की हालत में उसका बैग और सामान कहीं छूट गया था जिसमें उसका वीजा और पासपोर्ट भी उसके पास नहीं रहे। ऐसे में 4 दिन तक वह अलग अलग शरणार्थी शिविरों में रही थी । आखिरकार भारतीय दूतावास की मदद से यश भारद्वाज और एक अन्य साथी छात्रा द्वारा उसे वापस पोलैंड लाया गया। यश ने कहा कि युद्ध में शायद बच भी जाते, लेकिन -6 डिग्री तक ठंड में जीवन बचाना बड़ा मुश्किल था। उन्हें बार बार यही लग रहा था ठंड मैं उनके प्राण निकल जाएंगे। ऐसे हालात से जूझते हुए वह अपने घर लौटे हैं। लेकिन अब परिवार की और यश भारद्वाज की यही चिंता है कि 4 साल की पढ़ाई करने के बाद उनके कैरियर का क्या होगा ?


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