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कांग्रेस ने किसान कानूनों के ख़िलाफ़ किया धरना-प्रदर्शन, सोनीपत पहुंचे हुड्डा

Written by  Arvind Kumar -- September 21st 2020 05:30 PM
कांग्रेस ने किसान कानूनों के ख़िलाफ़ किया धरना-प्रदर्शन, सोनीपत पहुंचे हुड्डा

कांग्रेस ने किसान कानूनों के ख़िलाफ़ किया धरना-प्रदर्शन, सोनीपत पहुंचे हुड्डा

सोनीपत। किसान है तो हिंदुस्तान है। किसान के हक़ों पर हमला ये प्रदेश बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर कोई भी क़ानून किसान से MSP का अधिकार छीनेगा तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक उसका विरोध करेगी। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा सोमवार को 3 नये कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ सोनीपत में कांग्रेस की तरफ से आयोजित धरना स्थल पर बोल रहे थे। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि 3 किसान विरोधी क़ानून MSP और मंडी व्यवस्था पर सीधा हमला है। सरकार ने मंडी के बाहर ख़रीद को प्रोत्साहन देने के लिए क़ानून तो बना दिया, लेकिन उसमें कहीं भी MSP पर ख़रीद का प्रावधान नहीं जोड़ा। जबकि, बीजेपी सरकार को अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के C2 फ़ार्मूले के तहत इसमें MSP की गारंटी का प्रावधान जोड़ना चाहिए था। यह भी पढ़ें: किसान बोले- दूसरे लीडरों को भी हरसिमरत कौर बादल से कुछ सीखना चाहिए Congress protests against farmers laws, Hooda reached Sonepat हुड्डा ने कहा सरकार अगर सरकारी ख़रीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी FCI की ख़रीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा? क्या इसका असर धीरे-धीरे PDS सिस्टम पर नहीं पड़ेगा? यदि सरकार धीरे-धीरे सरकारी खरीद से हाथ खींच लेगी तो क्या गरीब का राशन भी नहीं बंद हो जाएगा? educareइस मौक़े पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी कांग्रेस के मेनिफेस्टो और उनकी कमेटी की सिफारिशों के बारे में झूठ फैला रही है। जबकि सच ये है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए UPA सरकार में कई क़दम उठाए गए। UPA कार्यकाल के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी ने किसानों को सशक्त बनाने की कई सिफारिशें की थी। जबकि, बीजेपी सरकार ने नये क़ानूनों के ज़रिए किसानों को पूंजीपतियों के हवाले करने का मॉडल लागू किया है। उनकी कमेटी ने मंडी व्यवस्था को मजबूत करने की सिफ़ारिश की थी। यह भी पढ़ें: मास्क ना पहनने पर चालान काटा तो वकील ने की 10 लाख के मुआवजे की मांग इस दौरान हरियाणा में ब्लॉक और ज़िला ही नहीं ग्रामीण स्तर तक मंडियों विस्तार किया गया। पुरानी मंडियों को शहर से बाहर निकालकर शहर से बाहर बड़ी मंडियां बनाई गईं। इसके विपरीत, मौजूदा सरकार मंडियों को ही कमज़ोर करने की तरफ बढ़ रही है। Congress protests against farmers laws, Hooda reached Sonepat हुड्डा के नेतृत्व वाली कमेटी की सिफारिश पर पूरे देश में किसानों के लोन पर ब्याज दर को 11% से कम करके 4% किया गया। इतना ही नहीं, हरियाणा में फसली लोन को ज़ीरों प्रतिशत कर दिया गया था। UPA कार्यकाल के दौरान फसलों की MSP में रिकॉर्ड 2 से 3 गुणा की बढ़ोत्तरी हुई। हरियाणा में 1509 जैसी धान 3000-4000 रुपये और 1121 बासमती धान 5000 से 6000 रुपये क्विंटल के रेट पर बिकी। लेकिन इस सरकार के दौरान किसान को 1850 रुपये MSP भी नहीं मिल पा रही है। आज भी परमल धान मंडियों में 1100 से 1200 रुपये में पिट रही है। हुड्डा सरकार के दौरान किसानों के कर्ज़े और बिजली बिल पूरी तरह माफ़ कर दिए गए थे। किसानों को सस्ती बिजली मुहैया करवाई गई, सिंचाई के साधन बढ़ाए गए, ट्यूबवेल और फव्वारा पद्धति के लिए सब्सिडी दी गई, किसानों की पेमेंट टाइम पर की गई, बीज और खाद सस्ते किए गए, पेट्रोल-डीज़ल पूरे देश में सबसे सस्ता किया गया। इतना ही नहीं, ज़मीन की कुर्की जैसे काले नियमों को ख़त्म कर दिया गया। Congress protests against farmers laws, Hooda reached Sonepat डिप्टी सीएम ने कहा है कि अगर MSP पर आंच आई तो वो पद से इस्तीफ़ा दे देंगे। उनके इस बयान पर भी पत्रकारों ने नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया मांगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिसको लगता है अब तक MSP पर आंच नहीं आई, वो मंडियों में जाकर देख ले। आज भी धान, बाजरा, कपास, मूंग और मक्का जैसी फसलें MSP से बेहद कम रेट पर बिक रही हैं। ख़ुद बीजेपी के सांसद मानते हैं कि किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। नये क़ानूनों में मंडी के बाहर MSP का कोई प्रावधान ही नहीं है। लेकिन सत्ता के घमंड में डूबे नेताओं को लगता है कि अबतक MSP पर आंच ही नहीं आई। ओपेन मार्किट करने का मक़सद ही MSP से पीछा छुड़ाना है। अगर ओपेन मार्किट में किसान को अच्छा रेट मिल सकता तो देश में MSP की व्यवस्था करनी ही नहीं करनी पड़ती?  भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोहराया कि सरकार MSP को लेकर मौखिक खानापूर्ति न करे बल्कि किसानों को MSP गारंटी का क़ानून पास करके लिखित आश्वासन दे। इसके लिए विधानसभा में अलग से बिल लाया जाए। कांग्रेस ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। सभी दलों को एक सुर में इन बिलों के ख़िलाफ़ सदन में अपनी आवाज़ उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी क़ानूनों को हरियाणा में लागू नहीं होने दिया जाएगा।


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