गोल्ड जीतने वाली एथलीट दूसरों के घर काम करने को हुई मजबूर, जानिये सुनीता की कहानी
हरियाणा: भारत जैसे देश में कई ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने देश का नाम तो रोशन किया लेकिन बाद में कही गुमनाम हो गए। कुछ ऐसी ही कहानी है गोल्ड मेडलिस्ट सुनील की। हरियाणा के रोहतक जिले की सीसर खास गांव में रहने वाली लड़की सुनीता ने भारोत्तोलन में कई पदक जीते हैं, लेकिन वो अब वो लोगों के घरों में काम करने को मजबूर है।
पिछड़ा वर्ग से आने वाली सुनीता का परिवार अर्थिक रूप से काफी गरीब है। दो वक्त की रोटी के लिए भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। गरीबी का आलम ये है कि कई बार तो सुनीता को सुखी रोटी और मिर्च खाकर ही अपना पेट भरना पड़ता है। इसके बावजूद अपनी फिटनेस और ताकत बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती हैं।
जानकारी के अनुसार, सुनील 2020 में वर्ल्ड स्ट्रेंथ-लिफ्टिंग चैंपियनशिप के लिए बैंकॉक गई थी। जिसके लिए उनके माता-पिता ने एक निजी साहूकार से भारी ब्याज पर 1.5 लाख रुपए का कर्ज लिया था। कर्ज चुकाने के लिए सुनील कड़ी मेहनत कर रही हैं।’’
मिट्टी के चूल्हे पर रोटियां बनाने वाली सुनीता के पिता एक मजदूर हैं। उनकी मां दूसरों के घरों में काम करती हैं। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना भी उनके जीवन यापन के काम नहीं आ सका है। सुनील नेशनल और वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीत चुकी हैं।
उन्होंने छत्तीसगढ़ में आयोजित नेशनल स्ट्रेंथ लिफ्टिंग चैंपियनशिप-2019 में गोल्ड मेडल और पश्चिम बंगाल में नेशनल स्ट्रेंथ लिफ्टिंग चैंपियनशिप-2021 में सिल्वर मेडल भी हासिल किया है। स्थानीय विधायक बलराज कुंडू से लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह तक के राजनीतिक नेताओं ने सुनीता की उपलब्धियों को सराहा है और उन्हें मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन आज तक कोई मदद नहीं मिली है।
-PTC NEWS